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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद और हिंसक अतिवाद से समाज में वैमनस्य और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव बढ़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद और हिंसक अतिवाद से समाज में वैमनस्य और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव बढ़ रहा है। साथ ही यूएन देशों से अपील की कि आतंकवाद को किसी कीमत पर न्यायसंगत न ठहराया जाए।
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने एक उच्चस्तरीय बैठक में डरबन घोषणा और कार्रवाई के कार्यक्रम को अपनाने की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस चिंता के साथ जिक्र किया कि मीडिया के नए रूप, खास तौर पर सोशल मीडिया नस्लवाद और भेदभाव के मंच के तौर पर उभरा है।
उन्होंने कहा, हमारे समय में, हमने देखा है कि किस तरह से नस्लीय या अन्य भेदभाव को आतंकवाद अपनाने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
राज्य प्रायोजित आतंकवाद और हिंसक अतिवाद आतंकवाद के लिए अनुकूल माहौल बनाता है और समाज में वैमनस्य और भेदभाव को बढ़ावा देता है। हम यूएन देशों से अपील करते हैं कि आतंकवाद को किसी भी रूप में न्यायसंगत न ठहराया जाए।
बता दें कि पिछले सप्ताह यूएन मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र में भारत ने पाकिस्तान पर जबरदस्त हमला बोला था। भारत ने साफ तौर पर कहा था कि पाकिस्तान की पहचान एक ऐसे देश की बन गई है जो यूएन द्वारा घोषित व अन्य आतंकियों को न सिर्फ खुला समर्थन देता है बल्कि उन्हें ट्रेनिंग, वित्तीय सहायता और हथियार भी देता है।
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