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भारत के पास पाकिस्तान से 5 परमाणु बम कम, FAS ने जारी की सूची

Neha Dani
27 March 2021 4:36 AM GMT
भारत के पास पाकिस्तान से 5 परमाणु बम कम, FAS ने जारी की सूची
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अमेरिका लगातार अपने रिटायर्ड बमों को खत्म करने में लगे हुए हैं.

हाल ही में खबर आई थी कि ब्रिटेन ने अचानक से परमाणु हथियारों (Nuclear Warheads) का जखीरा बढ़ाना शुरू कर दिया है. अब तमाम देशों के विध्वंसक हथियारों (Nuclear Bomb) पर नजर रखने वाली संस्था फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट (FAS) ने एक नई सूची जारी की है. इस सूची के मुताबिक परमाणु बम (Parmanu Bomb) के जखीरे में मामले में हमारा पड़ोसी मुल्क (Pakistan has more Nuclear bomb than India) हम से आगे है. जबकि रूस के पास सबसे ज्यादा परमाणु बम हैं.

FAS की लिस्ट में दावा किया गया है कि भारत के पास पाकिस्तान से पांच परमाणु बम कम हैं. पाकिस्तान के पास 165 परमाणु बम हैं जबकि भारत के पास 160. रिपोर्ट के मुताबिक शीत युद्ध के बाद परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार गिरावट आई है. 1986 में जहां इनकी संख्या 70,300 थी, वहीं 2021 में यह घटकर 13,100 तक पहुंच गई है. मगर चिंता की बात यह है कि सैन्य हथियारों को अभी भी जमा किया जा रहा है.
रूस सूची में सबसे आगे




परमाणु बम के मामले में रूस पहले नंबर पर है. FAS की सूची के मुताबिक रूस के पास कुल 6,257 परमाणु बम हैं. इनमें से 1600 बमों को तैनात किया गया है जबकि 4,497 बम रिजर्व में रखे गए हैं. इसके अलावा 1700 बम रिटायर्ड हो चुके हैं. इसी तरह अमेरिका के पास कुल 5,550 परमाणु बम हैं. इनमें से 1800 को तैनात किया गया है, जबकि 3800 रिजर्व में रखे गए हैं. बाकी 1750 रिटायर्ड हो चुके हैं.
तीसरे नंबर पर चीन




सीमा पर अक्सर तनाव पैदा करने वाला चीन इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. उसके पास 350 बम हैं. चौथे नंबर पर फ्रांस (290), पांचवें नंबर पर ब्रिटेन (195) हैं. इसके बाद नंबर आता है पाकिस्तान का, जिसके पास 165 परमाणु बम हैं. लिस्ट में सातवें नंबर पर मौजूद भारत के पास 160 बम हैं. हालांकि संस्था ने चीन के परमाणु बमों की संख्या पर शक भी जताया है. रिपोर्ट के अनुसार चीन ने चोरी-छिपे हथियार इकट्ठा किए हो सकते हैं. भारत के बाद इजरायल (90) और नॉर्थ कोरिया (40) हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 1985 से 1990 के बीच सबसे ज्यादा परमाणु बम बनाए गए. इसके अलावा बीते 30 साल में परमाणु बमों की संख्या में इसलिए कमी आ रही है क्योंकि रूस और अमेरिका लगातार अपने रिटायर्ड बमों को खत्म करने में लगे हुए हैं.


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