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व्यापारिक क्षेत्र में दरकिनार करने के लिए बनाई है जिससे चीन का आतंक पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में खत्म किया जाए।
चीन के कई शहरों में अंधकार छाया हुआ है क्योंकि वहां पर कोयले की कमी से बिजलीघरों में ऊर्जा पैदा नहीं की जा रही है। ऊर्जा निर्माता कोयले की कमी के कारण भीषण ऊर्जा संकट में फंसते जा रहे हैं। चीन में कोयले की कीमतों के साथ-साथ महंगाई भी बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों से चीन का ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार संघर्ष भी चल रहा है। चीन पहले से ही अपने बिजली घरों के लिए ऑस्ट्रेलिया से कोयला खरीदता रहा है लेकिन इस बार चीन ने ऑस्ट्रेलिया को सबक सिखाने के लिए उसके कोयले को नहीं खरीदा, जो ऑस्ट्रेलियाई मालवाहक जहाज कोयले की बड़ी-बड़ी खेप के साथ चीनी बंदरगाहों पर चीन के कोयले खरीदने की हामी भरने का इंतजार कर रहे थे तो इसी बीच भारत ने ऑस्ट्रेलिया से सारा कोयला खरीदकर चीन को जोरदार झटका दिया है। भारत के इस कदम से चीन की ऑस्ट्रेलिया पर चाल उल्टी पड़ गई है।
भारत ने खरीदा 20 लाख टन कोयला
भारत ने 20 लाख टन कोयला खरीदकर एक तरफ़ चीन की चाल को उसी की तरफ मोड़ दिया तो वहीं अधर में लटके ऑस्ट्रेलिया का कोयला खरीदकर अपने मित्र देश को राहत की सांस दी है। हालांकि भारत ने ये सारा कोयला रियायती दरों पर खरीदा है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के कोयले से भरे 70 जहाज चीन की 14 बंदरगाहों पर चीन की कुटिल चालों से मुश्किल में पड़ गए थे और वहां से जल्दी बाहर निकलना चाहते थे। चीन की इस हरकत का जवाब देते हुए भारत ने एक तरफ़ चीन को झटका दिया है तो दूसरी तरफ दुनिया को ये दिखा दिया है कि वह संकट की इस घड़ी में ऑस्ट्रेलिया के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया का साथ इसलिए दिया क्योंकि ऑस्ट्रेलिया चीन की ज्यादतियों के खिलाफ मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। दरअसल ऑस्ट्रेलिया का विदेश व्यापार बहुत हद तक चीन के आयात पर निर्भर है। फिर चाहे बात कोयले की हो, गाय के मांस की, बहुमूल्य खनिज, मशीनरी, एल्यूमीनियम, कम्प्यूटर, इनआर्गैनिक रसायन या फिर अंगूर से निकलने वाली वाइन की।
ऑस्ट्रेलिया के कुल निर्यात का 31 फीसदी हिस्सा चीन को जाता है
ऑस्ट्रेलिया के कुल निर्यात का 31 फीसदी हिस्सा चीन को जाता है, इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और इसी का फायदा उठाकर चीन ऑस्ट्रेलिया पर अपनी धौंस जमा रहा है। बावजूद इसके ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के खिलाफ मोर्चा खोला है। फिर चाहे कोरोना महामारी के चीन से फैलने की जांच की बात हो या फिर चीन की दक्षिण-पूर्वी एशिया में धौंस दिखाने की जिसके खिलाफ ऑस्ट्रेलिया ने खुलकर अपनी आवाज उठाई है। स्कॉट मॉरिसन ने चीन से हुए नुक्सान की पूर्ति के लिए 'इंडिया फर्स्ट' की नीति पर आगे बढ़ने की बात कही है।
वहीं ऑस्ट्रेलिया विशेष दूत और पूर्व पी.एम. टोनी एबॉट ने भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर जोर दिया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा था कि चीन के बारे में हर सवाल का जवाब भारत के पास है। कोयला और खनन क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ अपने सहयोग को और गति देने पर भी काम कर रहा है। सितंबर महीने में वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग पर दोनों देशों के बीच पहली 'संयुक्त कार्य समूह' की बैठक कोयला और खनन के क्षेत्र के बारे में हुई थी। भारत ने चीन द्वारा ऑस्ट्रेलिया कोयले पर एकतरफ़ा प्रतिबंध लगा कर उसे आर्थिक झटका देना चाहा तो भारत ने ऑस्ट्रेलिया का कोयला खरीद कर उसे इस संकट से बाहर निकाला। भारत अपने देसी बाजार में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई कोयले को खरीदने में सक्षम था और ये ऑस्ट्रेलिया के भी पक्ष में था क्योंकि उसे चीन के प्रतिबंध के बाद चीन जैसा ही बड़ा बाजार चाहिए था।
भारत और ऑस्ट्रेलिया इस महीने करेंगे ऊर्जा मुद्दे पर वार्ता
चीन को और झटका देने के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया इस महीने में ऊर्जा मुद्दे पर वार्ता करने वाले हैं। इसके अलावा भारत और ऑस्ट्रेलिया, जापान द्वारा शुरू की गई एक नई व्यापार रणनीति 'स्लाई चेन रेजीलिएंस इंशिएटिव' का हिस्सा हैं। ये नीति जापान ने चीन को आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में दरकिनार करने के लिए बनाई है जिससे चीन का आतंक पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में खत्म किया जाए।
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