विश्व
अफगानिस्तान में राजनयिक मजबूती के लिए भारत ने बढ़ाया हाथ, भेजी मेडिकल सप्लाई
Renuka Sahu
12 Dec 2021 1:52 AM GMT
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फाइल फोटो
अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद वहां की जनता के लिए मेडिकल सप्लाई की पहली खेप भेजकर, नई दिल्ली ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है कि वह काबुल के राजनयिक दरवाजे पर अपने पैर रखना चाहता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) शासन आने के बाद वहां की जनता के लिए मेडिकल सप्लाई की पहली खेप भेजकर, नई दिल्ली ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है कि वह काबुल के राजनयिक दरवाजे पर अपने पैर रखना चाहता है. भारत ने संकट के समय अफगान लोगों की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप अफगानिस्तान को चिकित्सकीय सामग्री के रूप में मानवीय मदद मुहैया कराई है. दस भारतीयों और 94 अफगान नागरिकों को काबुल से दिल्ली लाने वाले विमान के जरिए मेडिकल सप्लाई को अफगानिस्तान भेजा गया.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस खेप को काबुल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) के प्रतिनिधियों को सौंपा जाएगा. मंत्रालय ने कहा, 'अफगानिस्तान में चुनौतीपूर्ण मानवीय स्थिति के मद्देनजर भारत सरकार ने अफगानिस्तान लौट रहे एक विमान के जरिए चिकित्सकीय आपूर्ति के रूप में मानवीय सहायता भेजी है.' एक बयान में कहा गया, 'ये दवाइयां काबुल में WHO के प्रतिनिधियों को सौंपी जाएंगी और काबुल स्थित इंदिरा गांधी बाल चिकित्सालय में दी जाएंगी.'
'तालिबान शासन' और 'अफगानिस्तान के लोगों' के बीच अंतर करने का फैसला कुछ समय पहले किया गया था. जिसमें भारत, संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों के माध्यम से जरूरी चीजों की सप्लाई के साथ अफगानिस्तान के लोगों तक पहुंचेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से दवाएं और विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत खाद्यान्न सप्लाई किया जाएगा.
हालांकि, अफ्गानिस्तान की 'सरकार' और 'लोगों' के बीच अंतर करना आसान नहीं रहा. रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने कहा कि तालिबान, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों तक पहुंच को मजबूती से नियंत्रित करता है ऐसे में भारत पिछले चार महीनों में तालिबान के अधिकारियों के साथ सावधानीपूर्वक, पर्दे के पीछे की बातचीत में शामिल हुआ. भारत अगस्त के अंत में अफगानिस्तान तक पहुंचने वालों में से एक था. भारतीय दूत दीपक मित्तल ने अगस्त में आधिकारिक तौर पर तालिबान के दोहा कार्यालय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. तालिबानियों कीअगुवाई शेर मोहम्मद स्टेनकजई कर रहे थे.स्टेनकजई ने भारत से ही पढ़ाई की है.
अफगानिस्तान ने कहा था-भारत जारी रखे निवेश
उस बैठक के बाद से तालिबान ने इस बात पर जोर दिया था कि ' मानवीय मदद और विकास परियोजनाओं के लिए भारत का स्वागत है.' रिपोर्ट के अनुसार मित्तल और स्टेनकजई के बीच बैठक में, तालिबान के अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि पिछले 20 सालों में भारत की 3 बिलियन डॉलर से अधिक के प्रोजेक्ट्स बहुत 'फायदेमंद' रहे और वह चाहता है कि भारत अफगानिस्तान में 'निवेश' करे.
अक्टूबर की शुरुआत में, भारत ने अफगानिस्तान के लोगों को गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं भेजने का फैसला किया था. इसके लिए भारत ने पाकिस्तान सरकार से अनुरोध किया था कि 50,000 मिट्रिक टन अफगानिस्तान भेजने के लिए 5,000 ट्रकों को उनके देश से गुजरने दिया जाए.
गौरतलब है कि तालिबान द्वारा 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद 'ऑपरेशन देवी शक्ति' के तहत कुल 669 लोगों को अफगानिस्तान से लाया गया है, जिनमें 448 भारतीय और 206 अफगान नागरिक हैं. इनमें अफगान हिंदू/सिख अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य भी हैं.' अगस्त में 438 भारतीयों समेत 565 लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया था.
Renuka Sahu
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