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संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत ने जताई चिंता, शांति और स्थिरता कायम करने पर जोर

Subhi
11 Nov 2022 1:10 AM GMT
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत ने जताई चिंता, शांति और स्थिरता कायम करने पर जोर
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संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत ने कहा कि हमारा मकसद वहां शांति और स्थिरता लाना है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत आर रवींद्र ने कहा कि अफगानिस्तान के प्रति भारत का दृष्टिकोण ऐतिहासिक रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के साथ भारत का मजबूत और ऐतिहासिक संबंध है।

संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत ने कहा कि हमारा मकसद वहां शांति और स्थिरता लाना है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत आर रवींद्र ने कहा कि अफगानिस्तान के प्रति भारत का दृष्टिकोण ऐतिहासिक रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के साथ भारत का मजबूत और ऐतिहासिक संबंध है। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा, 'मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के साथ अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी देश है। अफगानिस्तान के लिए भारत का दृष्टिकोण हमारी ऐतिहासिक दोस्ती और अफगान लोगों के साथ विशेष संबंधों से निर्देशित होगा।'

अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर भारत चिंतित

भारतीय दूत ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान में भारत की मुख्य प्राथमिकता में तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करना, वास्तव में समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण शामिल है। रवींद्र ने कहा, 'भारत, अफगानिस्तान में बढ़ती मानवीय स्थिति से काफी चिंतित है। अफगान लोगों की मानवीय जरूरतों के लिए, भारत ने मानवीय और चिकित्सा सहायता के कई शिपमेंट भेजे हैं।'

अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत की नजर

दूत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत, अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है, और अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। दूत ने कहा, 'अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए, विशेष रूप से आतंकवादी व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित के लिए।'


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