x
पोट्र्स ग्लोबल लिमिटेड का नाम दिया गया था।
चीन और पाकिस्तान की चाल को नाकाम करने के लिए भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का काम तेज कर दिया है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण धीमी गति से चल रहे इस प्रोजक्ट के स्पीड पकड़ने से पाकिस्तान और चीन दोनों की चिंताएं बढ़ गई हैं। भारत ने सोमवार को बंदरगाह पर लगने वाले क्रेन सहित कई अन्य उपकरणों की दूसरी खेप की आपूर्ति की है। इससे पहले जनवरी में भारत दो मोबाइल हार्बर क्रेन को यहां पहले ही लगा चुका है। बाकी बचे दो क्रेनों की आपूर्ति इस साल जून तक कर दी जाएगी।
किस काम आते हैं मोबाइल हॉर्बर क्रेन
पोर्ट पर खड़े जहाजों पर सामान को लादने और उतारने के लिए मोबाइल हॉर्बर क्रेन का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से बड़े-बड़े कंटेनरों को बहुत ही कम समय में किसी विशालकाय ट्रांसपोर्ट शिप के ऊपर लादा या उतारा जा सकता है। इस क्रेन की मदद से पोर्ट पर पहुंचे सामनों को ट्रेन या ट्रक के जरिए जमीनी रास्तों से दूसरी जगह भेजा जा सकता है।
8.5 करोड़ डॉलर में हुई थी चाबहार डील
भारत ने 23 मई, 2016 को ईरान के साथ 8.5 करोड़ डॉलर के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस डील के पहले चरण में बंदरगाह पर उपकरण लगाने मशीनीकरण और परिचालन शुरू करने का समझौता किया गया था। दूसरे चरण में यहां से माल की सप्लाई का काम शुरू किया जाएगा। भारत ने इसके लिए बाकायदा पोत परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत एक अलग कंपनी बनाई थी, जिसे इंडिया पोट्र्स ग्लोबल लिमिटेड का नाम दिया गया था।
Neha Dani
Next Story