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भारत हूती के कब्जे वाले जहाज पर सवार 7 भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भारत चिंतित, तत्काल रिहाई की अपील

Khushboo Dhruw
13 Jan 2022 6:16 PM GMT
भारत हूती के कब्जे वाले जहाज पर सवार 7 भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भारत चिंतित, तत्काल रिहाई की अपील
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भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के मालवाहक जहाज पर सवार सात भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है

भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के मालवाहक जहाज पर सवार सात भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है और चालक दल सदस्यों व जहाज को तत्काल रिहा करने की अपील की है। 'रवाबी' नामक इस जहाज को यमन के हाउती विद्रोहियों ने दो जनवरी को होदीदा बंदरगाह पर बंधक बना लिया था। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, 'हम यमन में सैन्य अभियानों के निरंतर तीव्र होने से चिंतित हैं। पिछले कुछ वषरें में सना, मारिब और शाब्वा में भीषण झड़पें शांति की संभावनाओं को कमजोर कर रही हैं।' उन्होंने कहा कि जहाज को बंधक बनाने से पहले से चल रहा तनाव और बढ़ेगा। तिरुमूर्ति ने कहा, 'हम इस कृत्य पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं जिसने क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।' उन्होंने कहा कि चालक दल के सदस्यों की रिहाई तक हाउती उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में ब्रिटेन, अमेरिका और चीन ने भी जहाज बंधक बनाए जाने पर गहन चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने कहा, सातों भारतीय सुरक्षित

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि 'रवाबी' जहाज पर सवार सभी सात भारतीय सुरक्षित हैं और सरकार उनकी जल्द रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि घटनाक्रम पर भारत पूरी नजर रख रहा है।
यूएन मिशन ने चालक दल सदस्यों से की बात
संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा कि उसने 'रवाबी' जहाज के चालक दल सदस्यों से बात की है। होदीदा समझौते के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमएचए) ने बुधवार को ट्वीट किया, 'अपनी नियमित साप्ताहिक गश्त के दौरान यूएनएमएचए अस-सलीफ बंदरगाह और पड़ोसी इलाकों में गया। गश्ती दल ने कुछ दूरी से 'रवाबी' जहाज को देखा और उसके चालक दल सदस्यों से बात की।' उसने बताया, 'यूएनएमएचए गश्ती दल स्थानीय लोगों से बातचीत करने के लिए अस-सलीफ में एक मछली बाजार और एक स्थानीय स्कूल भी गया। गश्ती वाले इलाकों में सैन्यीकरण का कोई संकेत नहीं मिला।'



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