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और बढ़ेंगी भारत तथा जापान की नजदीकियां, अफगानिस्तान-दक्षिणी चीन सागर समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा

Tulsi Rao
23 Nov 2021 4:18 PM GMT
और बढ़ेंगी भारत तथा जापान की नजदीकियां, अफगानिस्तान-दक्षिणी चीन सागर समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा
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अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख-शांति बनी रहे तो आपको कुछ चीजें कभी घर में नहीं लानी चाहिए. ऐसी चीजें लाने पर न केवल गृह क्लेश बढ़ता है बल्कि आप कंगाल भी हो सकते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने हाल ही में कहा है कि उनका देश पड़ोसी देशों के साथ अच्छा व्यवहार करने को प्रतिबद्ध है। लेकिन कम-से-कम भारत और जापान उनकी बात पर भरोसा करते नहीं दिख रहे हैं। सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमाशा के बीच वार्ता में जो मुद्दे उठे हैं और जिस तरह दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में बलपूर्वक यथास्थिति बदलने की कोशिशों का विरोध किया है, उससे साफ है कि इनका इशारा किस देश की तरफ है। जापान में हाल के चुनाव के बाद बनी राजनीतिक स्थिरता के बाद पहली बार भारत के साथ उच्चस्तरीय वार्ता की गई है। इसमें आने वाले रिश्तों की दिशा साफ तौर पर दिखाई दे रही है।

जापानी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में बताया गया है कि विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की एक दूसरे देशों की यात्रा को लेकर प्रमुखता से चर्चा हुई है। इस सिलसिले में जापान के पीएम फुमियो किशिदा की जल्द से जल्द भारत यात्रा संभव बनाने की कोशिश होगी। साथ ही दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की अगुआई में होने वाली टू प्लस टू वार्ता की तिथि को लेकर भी बातचीत हुई है। बताते चलें कि जापानी प्रधानमंत्री के भारत आने का समय पिछले दो वर्षो से तय हो रहा है। दिसंबर 2019 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो एबी को भारत आना था, लेकिन असम में हिंसा होने की वजह से वह यात्रा टल गई थी। बाद में कोरोना और जापान में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से यह यात्रा टलती रही।
आर्थिक पहलुओं और ढांचागत क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी हुई चर्चा
जापान की राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद शीर्ष स्तर पर दोनों देशों के बीच संपर्क बना हुआ है। अब जबकि पीएम किशिदा चुनाव जीत चुके हैं तो उम्मीद है कि द्विपक्षीय संपर्को को रफ्तार मिलेगी। जयशंकर और योशिमाशा के बीच आर्थिक पहलुओं और ढांचागत क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई। हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े तमाम पहलुओं पर भी चर्चा हुई है और दोनों देशों ने इस बात को दोहराया है कि इस क्षेत्र को पूरी तरह से मुक्त व सभी देशों के लिए समान अवसर वाला बनाने के लिए प्रयास करते रहेंगे। इस संबंध में द्विपक्षीय स्तर पर भी कोशिश होगी और क्वाड के तहत भी।


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