विश्व

भारत ने फिर निभाई बड़े भाई की जिम्मेदारी, श्रीलंका को भेजा 11 हजार मीट्रिक टन चावल

Subhi
13 April 2022 1:12 AM GMT
भारत ने फिर निभाई बड़े भाई की जिम्मेदारी, श्रीलंका को भेजा 11 हजार मीट्रिक टन चावल
x
भीषण आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका में इन दिनों लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं. ऐसे में भारत एक अच्छा पड़ोसी और बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए लगातार उसकी मदद करने में लगा है.

भीषण आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका में इन दिनों लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं. ऐसे में भारत एक अच्छा पड़ोसी और बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए लगातार उसकी मदद करने में लगा है.

भारत ने श्रीलंका को चावल की खेप भेजी

भारत ने श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रीय नव वर्ष की शुरुआत से पहले मंगलवार को 11,000 मीट्रिक टन चावल की खेप भेजी. श्रीलंका को यह मदद 1 अरब डॉलर के रियायती भारतीय ऋण सुविधा के तहत दी गई. श्रीलंका के अफसरों ने चावल की खेप रिसीव करते हुए भारत सरकार और भारतीय जनता का शुक्रिया अदा किया, जो इस बुरे वक्त में भी उनका साथ दे रहे हैं.

पहली खेप में गेहूं भेज चुका है भारत

श्रीलंका (Sri Lanka) को आर्थिक मदद से उबारने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और श्रीलंका सरकार के बीच 17 मार्च 2022 को समझौता हुआ था. इस समझौते में भारत की ओर से 1 अरब डॉलर का रियायती ऋण सुविधा दी गई थी. जिसकी मदद से श्रीलंका को भारत से 40 हजार मीट्रिक टन अनाज मंगवाना है. इसमें से 5 हजार मीट्रिक टन गेहूं पिछले दिनों श्रीलंका भेजा जा चुका है. अब 11 हजार मीट्रिक टन गेहूं की दूसरी खेप और भेजी गई है. श्रीलंका का स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन इस गेहूं को अब अपने देश की जनता तक पहुंचाने का इंतजाम करेगा.

दवा भेजकर भी मदद कर रहा भारत

कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने गेहूं की इस सप्लाई पर कहा, 'यह आपूर्ति भारत के उन वादों का हिस्सा है, जिसमें श्रीलंका (Sri Lanka) को संकट से उबारने के लिए ईंधन, दवा और आर्थिक मदद की बातें शामिल हैं. गेहूं की तरह चावल की डिलीवरी भी समझौता होने के एक महीने के अंदर ही कर दी गई थी.'

भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने कहा, 'सिंहली और तमिल नव वर्ष से पहले गेहूं की दूसरी खेप की आपूर्ति कर दी गई है. यह सप्लाई श्रीलंका को एनर्जी और फूड सिक्योरिटी के मामले में मदद पहुंचाने के भारत के वादे के अनुरूप की जा रही है.'

फर्टिलाइजर के इस्तेमाल पर रोक से बिगड़े हालात

बताते चलें कि मई 2021 में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने खेती के काम में सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार के इस फैसले का श्रीलंका पर उल्टा असर पड़ा और खेती ठप होकर रह गई. इससे साथ ही नवंबर से हजारों किसानों ने सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया.

सरकार का कहना था कि स्वास्थ्य और पर्यावरण कारणों से उसने फर्टिलाइजर के इस्तेमाल पर बैन लगाया है. हालांकि इस फैसले से श्रीलंका (Sri Lanka) के कृषि उत्पादन में करीब 40 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है. खासकर चावल का उत्पादन घटकर काफी कम हो चुका है. सरकार के इस कदम से नाराज किसानों ने धान की कटाई से भी इनकार कर दिया, जो कि वहां राष्ट्रीय नव वर्ष की परंपरा से जुड़ा है.


Next Story