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ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में सबसे ऊंचे स्थान पर पहली बार बारिश हुई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कई घंटों तक हुई इस बारिश का कारण जलवायु परिवर्तन है।
ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में सबसे ऊंचे स्थान पर पहली बार बारिश हुई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कई घंटों तक हुई इस बारिश का कारण जलवायु परिवर्तन है। अमेरिकी स्नो एंड आइस डाटा केंद्र के मुताबिक 14 अगस्त को बर्फ में 3,000 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर यह बारिश हुई। इन्हें बुरा संकेत माना जा रहा है।
बता दें कि बारिश के होने के लिए तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर या बस थोड़ा सा नीचे होना चाहिए। ग्रीनलैंड में बारिश का होना इस बात का संकेत है कि दुनिया कीदूसरी सबसे बड़ी बर्फ की चादर को बढ़ते हुए वैश्विक तापमान से कितना खतरा है। डेनिश मीटियोरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता मार्टिन स्टेंडल का कहना है, यह एक दुर्लभ घटना है क्योंकि मुमकिन है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ हो। संभव है कि यह ग्लोबल वॉर्मिंग का एक संकेत हो।
शोधकर्ता मार्टिन स्टेंडल ने बताया कि पिछले 2,000 सालों में बर्फ की चादर पर सिर्फ नौ बार तापमान हिमांक बिंदु से ऊपर बढ़ा है। उन्होंने कहा, हमने जो बारिश हमने देखी है वह और भी ज्यादा असाधारण है।
बर्फ पर बारिश बुरे संकेत
पानी ना सिर्फ बर्फ के मुकाबले गर्म होता है, बल्कि वह गहरे रंग का भी होता है। इस वजह से वह सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करने की जगह उसे ज्यादा सोख लेता है। कोलंबिया विवि की ग्लेशियोलॉजिस्ट इन्द्राणी दास का कहना है, यह बर्फ की चादर के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
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