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केन्या में इन दिनों ऊंटों के सैंपल लेकर कोरोना वायरस की टेस्टिंग की जा रही है. आखिर ऐसा क्यों?
केन्या में इन दिनों ऊंटों के सैंपल लेकर कोरोना वायरस की टेस्टिंग की जा रही है. आखिर ऐसा क्यों? क्या ऊंटों में भी Virus infected person, symptoms like corona, Kenya, corona virus, के लक्षण दिख रहे हैं? या फिर वैज्ञानिक कुछ और तलाश रहे हैं? दरअसल वैज्ञानिकों को कोरोना से ज्यादा उसके 'भाई' से डर सता रहा है. जो कोविड-19 से ज्यादा खतरनाक, ज्यादा घातक और जानलेवा है. (MERS (Middle East Respiratory Syndrome) deadlier than Coronavirus COVID-19 )
वैज्ञानिकों को यह डर सता रहा है कि अगली महामारी का कारण ये वायरस बनेगा. यही नहीं दुनिया पर इसके ज्यादा गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं. यह वायरस उसी परिवार का हिस्सा है, जिसका कोविड-19 है. साधारण भाषा में कहें, तो उसका भाई है. मगर यह उससे ज्यादा खतरनाक और घातक है. आशंका जताई जा रही है कि मिडिल ईस्ट रेस्टपिरेटरी सिंड्रोम (MERS) जानवरों से इंसानों में फैलकर ज्यादा तबाही मचा सकता है. दुनिया में अगली महामारी का कारण यही वायरस बन सकता है.
केन्या के ऊंटों में दिखे लक्षण
केन्या कापिती नेचुरल रिजर्व में ऊंटों में इस वायरस के लक्षण दिखे हैं. एएफपी की खबर के अनुसार इस वजह से वैज्ञानिक जोखिम लेकर ऊंटों के सैंपल ले रहे हैं ताकि उनके RT-PCR टेस्ट कराए जा सकें. डर इस बात का है कि यह वायरस म्यूटेट होकर नए स्ट्रेन में तब्दील होकर ज्यादा घातक रूप इख्तियार कर सकता है. यह वायरस आम लोगों को अपना शिकार बना सकता है. दक्षिण केन्या के नेचुरल रिजर्व के पशु विशेषज्ञ नेल्सन किपचिरचिर ने एएफपी से कहा, 'सभी पशुओं के सैंपल जुटाना मुश्किल काम है. अगर आप थोड़ी सी भी गलती करते हो, तो आपको इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. हो सकता है वो आपको काट ले, आपको लात मार दे.'
2012 में पहली बार सामने आया था वायरस
साल 2012 में पहली बार यह वायरस सऊदी अरब में आया था. इसके एक साल बाद से ही यहां ऊंटों में परीक्षण शुरू हो गया था. WHO के मुताबिक इस वायरस से 35 फीसदी मामलों में मौत के मामले सामने आए हैं. हालांकि अभी तक दुनियाभर में इस वायरस से 850 लोगों की मौत की बात ही सामने आई है. माना जाता है कि MERS चमगादड़ों से ऊंटों में फैला था.
कोरोना से जैसे लक्षण
इस वायरस के लक्षण भी कोरोना वायरस जैसे हैं. इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है. कोविड-19 की वजह से 30 लाख लोगों की मौत के बाद नए वायरस को लेकर वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है. संयुक्त राष्ट्र की साइंस एडवाइजरी पैनल IPBES ने 2020 में ही चेताया था कि महामारियों का खतरा अब ज्यादा बढ़ेगा. जलवायु परिवर्तन की वजह से अब ज्यादा लोग, पालतू पशु और जंगली जानवर इस वायरस से प्रभावित होंगे.
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