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पाकिस्तान और चीन की बढ़ी चिंता, इस खतरनाक टेक्‍नोलॉजी पर काम कर रहा है भारत

Gulabi
2 March 2021 1:09 PM GMT
पाकिस्तान और चीन की बढ़ी चिंता, इस खतरनाक टेक्‍नोलॉजी पर काम कर रहा है भारत
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पिछले दिनों इंडियन स्‍पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) की तरफ से पीएसएलवी-51 को लॉन्‍च किया गया है

पिछले दिनों इंडियन स्‍पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) की तरफ से पीएसएलवी-51 को लॉन्‍च किया गया है. पीएसएलवी-51 का लॉन्‍च इसरो के लिए बहुत ही एतिहासिक करार दिया गया. 28 फरवरी को जब पीएसएलवी-51 को लॉन्‍च किया गया तो इसके साथ एक ऐसा सैटेलाइट भी अंतरिक्ष पहुंचा जो सेनाओं के लिए किसी तीसरी आंख की तरह है.

सिंधुनेत्र यह नाम है उस सैटेलाइट का जिसे डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है. यह सैटेलाइट अंतरिक्ष से हिंद महासागर पर दुश्‍मन की हर गतिविधि पर नजर रख रहा है.
हर तरह की शिप्‍स पर रहेगी नजर
डीआरडीओ की तरफ से तैयार सिंधुनेत्र वह सैटेलाइट है जिसके बाद इंडियन नेवी, मिलिट्री और मर्चेंट नेवी की शिप्‍स को भी ट्रैक कर सकेगी. हिंद महासागर क्षेत्र यानी आईओआर भारत के रणनीतिक और व्यावसायिक हितों के लिए बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है.
पीएसएलवी-51 की लॉन्चिंग के बाद इसरो चीफ के सिवान ने बताया था कि सिंधुनेत्र सैटेलाइट इसी लॉन्‍च का हिस्‍सा था.पीएसएलवी-51 पूरी तरह से इसरो की व्‍यावसायिक शाखा न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड यानी NSIL का मिशन है.
इस लॉन्‍च के तहत ब्राजील के अर्थ ऑब्‍वजर्वेशन सैटेलाइट एमाजोनिया-1 और 18 को-पैसेंजर्स सैटेलाइट्स को भी आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्‍च किया गया है. पांच सैटेलाइट्स ऐसे हैं जिन्‍हें छात्रों की तरफ से तैयार किया गया है.
सबसे खतरनाक टेक्‍नोलॉजी पर काम जारी
इस सैटेलाइट के अलावा डिफेंस स्‍पेस एजेंसी (डीएसए) एक ऐसी टेक्‍नोलॉजी पर काम कर रही है जिसके बाद अंतरिक्ष में मौजूद खतरों के बारे में पहले से पता लग सकेगा.
डीएसए वह एजेंसी है जो रक्षा क्षेत्र में अंतरिक्ष से जुड़ी टेक्‍नोलॉजी से जुड़ी संभावनाओं पर काम करती है. साल 2019 के मध्‍य में भारत ने डीएसए का गठन किया था.
रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली इस एजेंसी पर अंतरिक्ष में दुश्‍मनों पर नजर रखने की बड़ी जिम्‍मेदारी है. डीएसए की तरफ से बताया गया है कि ऐसी टेक्‍नोलॉजी पर काम जारी है जो अंतरिक्ष में मौजूद दुश्‍मन की संपत्तियों का पता लगा सके, उनकी पहचान कर सके और इसे ट्रैक कर दुश्‍मन की तरफ से होने वाले हमलों के बारे में आगाह कर सके.
सुरक्षित रहेंगे भारत के हित
हिंद महासागर पर भारत की सर्विलांस क्षमता में इजाफा करने के मकसद से सिंधु नेत्र को तैनात किया गया है. इसकी सफल तैनाती के साथ ही नेवी और सुरक्षा एजेंसियों को हर संवेदनशील जानकारी मिलनी शुरू हो गई है. नेवी और कोस्‍ट गार्ड अब हर पल कोई भी संदिग्‍ध जहाज की जानकारी तुरंत हासिल कर सकेंगे.
सरकारी सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि रविवार को इसरो के रॉकेट से लॉन्‍च होने के बाद सिंधु नेत्र सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में तैनात हो गया है. इसकी क्षमताओं के बाद अब अफ्रीकी क्षेत्र से लेकर साउथ चाइना सी में भारत के हितों की निगरानी की जा सकेगी.
एलएसी और LoC की भी खबर
सिंधु नेत्र पहला ऐसा सैटेलाइट है जो जमीन पर सर्विलांस की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा. इस सैटेलाइट के बाद चीन की सीमा से लगे लद्दाख और पाकिस्‍तान के बॉर्डर इलाकों पर भी नजर रखी जा सकेगी.
भारत और चीन के बीच 4,000 किलोमीटर की लंबी लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) है. भारतीय एजेंसियों ने 4 से 6 की संख्‍या में सिंधु नेत्र जैसे सैटेलाइट्स की जरूरत पर बल दिया है ताकि दुश्‍मन की गतिविधियों को ट्रैक किया जा सके.


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