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डायनासोर का विनाश करने वाला एस्ट्रॉयड
पृथ्वी (Earth) पर जीवन के इतिहास में कई ऐसी बाते हैं जो आज भी बहस का विषय रहे हैं और उन पर गहन शोध होते रहते हैं. इनमें से एक विषय है कि आखिर पृथ्वी से डायनासोर (Dinosaurs) का विनाश किन कारणों से हुआ था. इसमें सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत यही है कि उत्तर क्रिटेशियस काल में एक विशाल क्षुद्रग्रह (Asteroid) पृथ्वी से टकराया था जिसके बाद सिलसिलेवार ऐसा हालात पैदा हुए जिसमें डायनासोर खुद को जिंदा नहीं सके और डायनासोर की लगभग सभी प्रजातियों का विनाश हो गया. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि यह टकराव या तो उत्तरी गोलार्द्ध के वसंत के आसपास हुआ था.
मौसमी समय की पुष्टि
इस अध्ययन में फ्लोरीडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी की अगुआई में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम शामिल थी. टीम ने अपने अध्ययन में उस साल के मौसमी समय की पुष्टि की जिस साल डायनासोर को खत्म करने वाला विनाशकारी चिक्सुलब क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया था. वसंतकाल के समय यानी गर्मी शुरू होने से पहले या गर्मी की शुरुआत में ही 16.5 करोड़ साल पहले महाविनाश की घटनाओं के सिलसिले की शुरुआत हुई थी.
समय की अहमियत
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजों ने पृथ्वी पर विनाश के शुरुआती चरणों के बारे में जानकारी हासिल करने की क्षमता को काफी बढ़ा दिया है. इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और फ्लोरीडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबर्ट डि पाल्मा ने बताया कि साल का समय जीवों के कई जैविक कार्यों के लिए बहुत अहम भूमिका निभाता है.
हैरानी की बात नहीं
डिपाल्मा ने कहा कि साल के मौसम के समय से जीवों के प्रजनन, खानपान की रणनीतियां, परजीवियों से अंतरक्रिया, मौसम के हिसाब से सुसुप्त हो जाना, और प्रजजन स्वरूप आदि का निर्धारण होता है. इसलिए कोई हैरानी की बात नहीं होनी जाहिए की वैश्विक स्तर पर होने वाले नुकसान का समय जीवन पर पड़ने वाला दुष्प्रभावों में बड़ी भूमिका निभाए.
अभी तक नहीं पता चला था
इसीलिए चिक्सुलब टकराव पर मौसम के समय का उस विनाशकाल में प्रमुख भूमिका रही होगा. इस भी तक इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जा सका था. दशकों तक यही पता था कि चिक्सुलब क्षुद्रग्रह 6.6 करोड़ साल पहले युकाटन प्रायद्वीप में टकराया था. इसका पूरी दुनिया पर जैविक और पारिस्थितिकी प्रभाव आज भी देखा जाता है.
कहां हुआ अध्ययन
इस अध्ययन की शुरुआत साल 2014 में शुरू हुई थी. इसमें बहुत सारी तकनीकों का एक साथ प्रयोग किया गया जिससे संकेतों की एक शृंखला जोड़ने केबाद पता चला कि चिक्सुलब टकराव के समय दुनिया का मौसम कैसा था. शोधकर्ताओं ने उत्तरी डाकोटा स्थित दुनिया की सबसे बड़ी क्रिटेशिल पेलियोजीन सीमा काल की साइट्स का अध्ययन किया जिससे वे विनाश की घटना के अंदरूनी कार्यों को समझ सकें.
और इस बात की भी पुष्टि
इस शोध से अध्ययनकर्ताओं को नए लेकिन बहुत ही अहम आंकड़े मिला. उन्हें बिलकुल हैरानी नहीं हुई जब तमाम प्रमाणों के अध्ययन के आधार पर वे यह पता लगा सके कि यह घटना किस मौसम में हुई थी. इस अद्ययन से यह भी पुष्टि हुई की टकराव के बाद विशाल बाढ़ आई जिससे बहुत सारे जीव एक बार में अवसाद के रूप में बदल गए.
महासागरों में भारी मात्रा में आए ज्वालामुखियों ने बनाई महाविनाश की राह
शोधकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से पाया कि यह टकराव वसंत के मौसम में होने के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध की जगह उत्तरी गोलार्ध में और भी ज्यादा विनाशकारी साबित हुआ. वैज्ञानिक अभी तक इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या क्षुद्रग्रह का टकराव महाविनाश का प्रमुख कारण था या नहीं. कुछ का मानना है कि विशाल ज्वालामुखी प्रस्फुटनों के कारण यह सब हुआ जो उसी मौसम में हुए थे. ऐसा भी हो सकता है कि दोनों ही घटनाएं एक साथ हुई थीं.
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