ईरान में हिजाब को लेकर सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन चल रहा है। ईरान में हिजाब बांधने वाले कानून के उल्लंघन के आरोप में एक 22 वर्षीय युवती महसा अमिनी को ईरान की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जिसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई। इसके बाद से ही ईरान में हंगामा शुरू हो गया। ईरान में जगह-जगह उग्र प्रदर्शन अभी तक जारी है। आखिर हिजाब पर इतनी सियासत क्यों हो रही है? दुनिया में हिजाब को लेकर क्या प्रावधान है? दुनिया के अन्य मुल्कों में बुर्के को लेकर क्या नियम है? दुनिया के किन देशों में ने बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा रखा है?
फ्रांस में कठोर प्रतिबंध
1- पश्चिमी मुल्कों में फ्रांस पहला देश है, जिसने अपने देश में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया। फ्रांस इस्लामी नकाबों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश था। हालांकि, बुर्के पर प्रतिबंध के बाद फ्रांस सरकार को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोला सारकोजी की कई मुस्लिम देशों में निंदा हुई थी।
2- फ्रांस के इस कानून के तहत कोई भी महिला घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती। नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान है। फ्रांस सरकार का मानना है कि पर्दा महिलाओं के साथ किसी अत्याचार से कम नहीं है। इस नियम का उल्लंघन करने पर 150 यूरो का जुर्माना तय किया गया है। अगर कोई किसी महिला को चेहरा ढकने पर मजबूर करता है तो उस पर 30 हजार यूरो के जुर्माने का प्रावधान है।
इटली और जर्मनी में आंशिक रूप से लागू
बुर्का इटली में आंशिक रूप से प्रतिबंधित है। इटली के कुछ शहरों में बुर्का पहनने पर रोक है। खासकर नोवार और लोंबार्डी शहर में यह कानून लागू है। जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल भी नकाब प्रतिबंधों को लागू करवाने के पक्ष में थीं। उनकी मान्यता थी कि नकाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हालांकि, जर्मनी में अभी ऐसा कोई कानून नहीं है। जर्मनी में जजों, सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आंशिक प्रतिबंध को मंजूरी दी है।
बेल्जियम में बुर्का पर प्रतिबंध
बेल्जियम भी एक ऐसा मुल्क है, जिसने अपने मुल्क में बुर्का पहनने पर रोक है। इस देश ने पूरा चेहरा ढकने पर वर्ष 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया था। इस कानून के तहत सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे किसी भी पहनावे पर रोक है, जो पहनने वाले की पहचान जाहिर न होने दे। हालांकि, बेल्जियम में भी इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया था इससे मानवाधिकार का अतिक्रमण नहीं हो रहा है।