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अब उन्हें अपने कार्यक्रमों की एक आडिऐंस मिलने लगी है।
अफ्रीका का एक बेहद पिछड़ा देश सोमालिया, जहां की महिलाएं हमेशा से पुरुषों द्वारा किए जा रहे शोषण को सहती रही हैं, वहां पर अब औरतों ने अपनी आवाज को उठाना शुरू कर दिया है। ये संभव हो सका है Bilan के जरिए। ये दरअसल, यहां की उन कमजोर और शोषण का शिकार हुई महिलाओं की आवाज उठाने वाले जरिए का नाम है जिसको यूएन की तरफ से फंडिंग की जा रही है।
महिलाओं के बने ये हथियार
इस देश में अब महिलाओं की आवाज उठाने का हथियार मोबाइल, लैपटाप और ट्राइपोड बना है। बिलान मीडिया की टीम का काम उन महिलाओं की आवाज को उठाना है जो अब तक केवल सहती आई हैं। बता दें कि सोमालिया में लैंगिक हिंसा एक आम अपराध है। इस पर महिलाओं की आवाज को हमेशा से नजरअंदाज किया गया है। इसके अलावा यहां पर दुष्कर्म को लेकर भी कोई सुनवाई नहीं होती हैं। पीडि़त महिला को पता होता है कि उसके साथ न्याय नहीं होने वाला है। यही वजह है कि वो केवल सहती जाती है।
संयुक्त राष्ट्र से होती है फंडिंग
इस मुस्लिम आबादी बहुत देश में यूएनडीपी के फंड से बिलान, जिसका अर्थ है सोमालिया की खूबसूरती शुरू किया गया है। इस देश की राजधानी मोगादिशु में स्थित एक रेडियो टीवी के आफिस Dalsan से इसको चलाया जाता है। फिलहाल इसमें छह महिला पत्रकारों की टीम दिन रात काम करती है और उन महिलाओं की आवाज देश और दुनिया तक पहुंचाती है जिनके साथ दुष्कर्म हुआ है और जिन्होंने बहुत कुछ सहा है। Bilan महिलाओं पर आधारित कार्यक्रमों को तैयार करता है और फिर इसको Dalsan के जरिए सभी तक पहुंचाता है। इसमें वो मुद्दे उठाए जाते हैं जिन पर यहां का समाज हमेशा से खामोश रहा है। इनमें घरेलु हिंसा, दुष्कर्म जैसे बड़े मुद्दे शामिल हैं।
महिलाओं पर आधारित मुद्दे
बिलान की एडिटर इन चीफ नसरील मोहम्मद इब्राहिम का कहना है कि इसके तहत करीब 80 फीसद कार्यक्रम उन्हीं मुद्दों पर आधारित होते हैं जिनसे सभी आजतक बचते आए हैं या जिन पर आजतक किसी ने कोई बात नहीं की। उन्होंने बताया कि आमतौर पर यहां हम पुरुषों के बनाए समाज और उनके बनाए नियमों के बीच जीते और मरते हैं। एएफपी को उन्होंने बताया कि यहां पर क्या करना है ये तय है। इसके लिए महिलाओं का इंटरव्यू किया जाता है। एक स्क्रिप्ट तैयार की जाती है और फिर इसको आन एयर किया जाता है। उन्हे खुशी है कि अब उन्हें अपने कार्यक्रमों की एक आडिऐंस मिलने लगी है।
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