भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) में अपने जवाब में पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई। भारत ने कहा कि बहुपक्षीय मंचों पर द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने और भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में शामिल होने के पाकिस्तान के प्रयास नए नहीं हैं। लेकिन, ये तेजी से अधिक हताश, निराधार और दुर्भावनापूर्ण हो गए हैं।
पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए भारत ने कहा कि इस देश के शीर्ष नेतृत्व ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उसकी सैन्य और खुफिया एजेंसी ने आतंकवादी समूह बनाए हैं और उन्हें अफगानिस्तान और जम्मू-कश्मीर में लड़ने के लिए तैयार किया है। इसके बाद भी यह भारत में मानवाधिकारों के बारे में टिप्पणी करने का दुस्साहस करता है।
यूएनएचआरसी में भारत ने कहा कि साल 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के दोषियों को अभी तक सजा नहीं मिल पाई है। साल 2016 के पठानकोट आतंकी हमले की विभीषिता दुनिया को आज भी याद है। भारत ने आगे कहा कि हम सब इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि इन आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाले लोग कहां से आते हैं।
इस दौरान पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से किए गए पुलवामा हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकवाद को समाप्त करने की वैश्विक मांग को पूरा करने में असफल रहा है। यह हमारे क्षेत्र में मानवाधिकारों और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने वाले आतंकी संगठनों की सुरक्षित पनाहगाह है।
अफगानिस्तान में मानवीय संकट के लिए पाक जिम्मेदार : एनजीओ
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में 'गरीबी उन्मूलन और विकास के लिए संगठन' नामक एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ने अफगानिस्तान में मौजूदा मानवीय संकट के लिए पाकिस्तान को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। उसने अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट द्वारा पेश रिपोर्ट पर पाकिस्तान की तीखी निंदा की।
एनजीओ के प्रतिनिधि ने काबुल में तालिबान को सत्ता में आने में मदद करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की। बाचेलेट ने कहा, अफगानिस्तानी नागरिकों के लिए मानवाधिकार की स्थिति वाकई चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि तालिबान के कब्जे के बाद से इस देश में कम से कम 1,156 नागरिक मारे गए और अनगिनत घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने कहा कि अफगानिस्तानियों को विनाशकारी मानवीय और आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आधी आबादी अत्यधिक भूख से पीड़ित है। एनजीओ ने कहा, पाक ने जिस तरह तालिबान को सहयोग किया उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
बांग्लादेश में नरसंहार के लिए पाक पर पाबंदी लगाए अमेरिका
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ग्लोबल स्ट्रैट व्यू में एक लेख में तर्क दिया गया है कि अमेरिका को 1971 के पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेशी नरसंहार और संगठित दुष्कर्म को मान्यता देनी चाहिए। लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान पर घोर मानवाधिकार उल्लंघन के लिए प्रतिबंध भी लगाना चाहिए।
मानवाधिकार संगठन की कार्यकारी निदेशक प्रिया साहा ने कहा, बंगाली महिलाओं को इस दौरान पेड़ों से बांधकर सामूहिक दुष्कर्म किए गए, अंग काटे गए और उनकी हत्या कर सामूहिक कब्रों में फेंक दिया गया। लेख में कहा गया कि बांग्लादेश इसे कभी नहीं भूल सकता और इसके लिए अमेरिका कदम उठाए।