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सूरज के जिस हिस्से में10 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तापमान, वहां 'जूते का डिब्बा' भेजेगा NASA, लेकिन क्यों?

Renuka Sahu
3 Nov 2021 3:08 AM GMT
सूरज के जिस हिस्से में10 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तापमान, वहां जूते का डिब्बा भेजेगा NASA, लेकिन क्यों?
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फाइल फोटो 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूर्य के कोरोना को मापने और इसके खतरनाक हिस्से पर गर्म प्लाज्मा की उत्पत्ति को समझने के लिए जूते के डिब्बे के आकार के क्यूब सैटेलाइट को भेजने का फैसला किया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सूर्य के कोरोना को मापने (Sun Corona) और इसके खतरनाक हिस्से पर गर्म प्लाज्मा की उत्पत्ति को समझने के लिए जूते के डिब्बे के आकार के क्यूब सैटेलाइट (Cube Satellite) को भेजने का फैसला किया है. कोरोना प्लाज्मा सूर्य और अन्य सितारों को घेर लेती है.

इस सैटेलाइट को क्यूबसैट इमेजिंग एक्स-रे सोलर स्पेक्ट्रोमीटर या CubIXSS के रूप में जाना जाता है. इसे साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में एक टीम द्वारा डिजाइन किया गया है और इसे 2024 में लॉन्च किया जाएगा. सूरज की सतह का तापमान 5000 डिग्री सेल्सियस से अधिक है. लेकिन कोरोना नियमित रूप से 10 लाख डिग्री सेल्सियस से अधिक है.
एनईए स्काउट पहले अंतरग्रहीय अभियान है जो सूर्य की किरणों के फोटोन की बहने की ताकत अंतरिक्ष में तैरेगा. यह यान दो साल की यात्रा के बाद पास के क्षुद्रग्रह के करीब से गुजरेगा. अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद यह यान अपने कैमरे सा क्षुद्रग्रह के करीब 10 सेमी प्रति पिक्सल की तस्वीरें लेगा जिनका उपयोग वैज्ञानिक इनका अध्ययन करेंगे.
NASA की दिलचस्पी विशेष रूप से गर्म प्लाज्मा में है. इसकी मौजूदगी सोलर फ्लेयर्स और सूर्य के अन्य एक्टिव क्षेत्रों में होती है. यहां पर अक्सर सौर तूफान आते हैं (What is CubIXSS Mission). इस मिशन के लीडर और साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक आमिर कास्पी ने कहा, 'सोलर फ्लेयर इसलिए होता है क्योंकि उस क्षेत्र में मौजूद मैग्नेटिक फील्ड काफी उलझी और मुड़ी हुई होती है. और इसका आकार भी परिवर्तित होता है.'
उन्होंने कहा, 'इसी वजह से काफी ऊर्जा निकलती है, जिसे हम सोलर फ्लेयर के रूप में देखते हैं.' सूर्य के कोरोना यानी उसके बाहरी वातावरण में नासा और दुनियाभर के शोधकर्ता काफी रुचि दिखा रहे हैं. अगस्त महीने में नासा ने एक एक्स-रे सोलर इमेजर को लॉन्च किया था (Sun Origin Plasma). ताकि ये पता लगाया जा सके कि सूर्य का कोरोना उसकी सतह से ज्यादा गर्म क्यों होता है.
CubIXSS सामान्य सैटेलाइट से छोटा है लेकिन एक मानक क्यूब सैटेलाइट से बड़ा है. मोटे तौर पर यह एक जूते के डिब्बे के आकार का होगा. CubIXSS वहां आने वाली एक्स-रे किरणों को मापेगा, ताकि हम इस रहस्य को सुलझा सकें. बयान में कहा गया है कि कोरोना के क्षेत्र में जो सोलर फ्लेयर होती हैं, वह 'लाखों डिग्री सेल्सियस' तक गर्म होती हैं. यानी इनका तापमान कोरोना से भी कहीं ज्यादा गर्म होता है.


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