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गहराती चुनौतियों के बीच अब इमरान के हाथ से फिसला भ्रष्टाचार का मुद्दा भी

Subhi
26 Jan 2022 1:35 AM GMT
गहराती चुनौतियों के बीच अब इमरान के हाथ से फिसला भ्रष्टाचार का मुद्दा भी
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिस पहलू को अपने शासन की मुख्य पहचान बनाया था, अब उस पर ही उन्हें बेहद तगड़ा झटका लगा है। खान ने बाकी तमाम दलों और उनके प्रमुख नेताओं को भ्रष्ट बताते हुए सत्ता में आने का अपना अभियान चलाया था।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिस पहलू को अपने शासन की मुख्य पहचान बनाया था, अब उस पर ही उन्हें बेहद तगड़ा झटका लगा है। खान ने बाकी तमाम दलों और उनके प्रमुख नेताओं को भ्रष्ट बताते हुए सत्ता में आने का अपना अभियान चलाया था। उन्होंने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वे तमाम 'भ्रष्ट नेताओं' को जेल में डाल देंगे। लेकिन अभी तक कोई बड़ा नेता जेल नहीं गया है। इस बीच उन्होंने जिस अधिकारी को नेताओं की जवाबदेही तय करने के लिए नियुक्त किया था, उसने इस्तीफा दे दिया है।

शहजाद अकबर ने दिया इस्तीफा

इमरान खान सरकार ने शाहजाद अकबर को ये जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें व्यापक अधिकार प्रदान किए थे। लेकिन सोमवार को शहजाद अकबर ने ट्विटर पर अपने इस्तीफे का एलान कर दिया। टीवी चैनल जियो न्यूज की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस एलान के बाद प्रधानमंत्री ने एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बताया जाता है कि इस बैठक में खान ने शाहजाद अकबर का इस्तीफा स्वीकार करने की घोषणा की। साथ ही कहा कि अकबर को जो काम सौंपा गया था, उसे पूरा करने में वे अक्षम साबित हुए।

अखबार द न्यूज ने बताया है कि इमरान खान इस बात से नाराज थे कि अकबर ने भ्रष्टाचार के चल रहे मामलों का पूरा ब्योरा उन्हें नहीं सौंपा। वे इनके बारे में आंशिक सूचनाएं ही उन्हें देते रहे। इसलिए प्रधानमंत्री की तरफ से उन्हें बताया गया कि अब उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है।

अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भी अपनी रिपोर्ट में कयास लगाया है कि अकबर को असल में बर्खास्त किया गया है। इसकी पृष्ठभूमि नवाज शरीफ परिवार के खिलाफ चल रहे मुकदमों में धीमी प्रगति मुख्य कारण बनी। इसका नतीजा हुआ कि ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी ने शाहबाज शरीफ और उनके बेटे के फ्रीज किए गए खातों को फिर से चालू कर दिया। ये खाते पाकिस्तान सरकार के अनुरोध पर फ्रीज किए गए थे। उधर शरीफ परिवार से कथित भ्रष्टाचार से कमाए गए धन को वसूलने की प्रक्रिया भी आगे नहीं बढ़ी। इन सब कारणों से इमरान खान की छवि प्रभावित हो रही थी।

हाल में बढ़ी हैं इमरान की चुनौतियां

पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान खान सरकार इस समय कई मुश्किलों में घिरी हुई है। देश में बढ़ते आर्थिक संकट के कारण सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रति लोगों की नाराजगी बढ़ी है। इसका इजहार हाल में हुए स्थानीय चुनावों में भी हुआ। कथित भ्रष्टाचार के मामलों में भी खास प्रगति ना होने से इमरान खान के लिए सियासी चुनौतियां बढ़ी हैं। इन परिस्थितियों में अब खान ने ठीकरा अकबर पर फोड़ने का फैसला किया है। इससे वे संदेश देना चाहते हैं कि कथित भ्रष्ट नेताओं को सजा दिलाने के अपेन वादे पर वे कायम हैं।

अकबर के इस्तीफे की खबर आने के बाद सूचना मंत्री चौधरी फव्वाद से पत्रकारों ने पूछा कि क्या इसके साथ ही जवाबदेही तय करने का सारा नैरेटिव खत्म हो गया है। इस पर फव्वाद ने कहा- भ्रष्टाचार के मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई पूरी हो गई है। अब ये मामले अदालत में हैं। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस प्रकरण ने इमरान खान के भ्रष्टाचार की जवाबदेही तय करने के दावे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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