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कोरोना के बीच 2020 में 2.3 करोड़ बच्चों को नहीं लग सके जीवनरक्षक टीके

Subhi
16 July 2021 12:51 AM GMT
कोरोना के बीच 2020 में 2.3 करोड़ बच्चों को नहीं लग सके जीवनरक्षक टीके
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कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में दुनियाभर में 2.3 करोड़ बच्चे सामान्य टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जरूरी जीवनरक्षक टीके से वंचित रह गए हैं।

कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में दुनियाभर में 2.3 करोड़ बच्चे सामान्य टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जरूरी जीवनरक्षक टीके से वंचित रह गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रेन इमरजेंसी फंड (यूनिसेफ) ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट में ये खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में 1.7 करोड़ बच्चे ऐसे रहे जिन्हें किसी भी टीके की एक भी खुराक नहीं लगी है।

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रॉस ए, गेब्रेयेसिस का कहना है कि दुनिया के सभी अन्य जरूरी टीकाकरण अभियान को पीछे छोड़कर कोरोना टीके पर जोर दे रहे हैं। हकीकत ये है कि इस आपाधापी में हम बच्चों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इस लापरवाही का नतीजा ये होगा कि बच्चों में खसरा, पोलियो और दिमागी बुखार के मामले सामने आ सकते हैं जो जानलेवा होने के साथ पीड़ादायक रोग है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच इन बीमारियों की दस्तक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। सभी देशों को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

दक्षिणपूर्व एशियाई क्षेत्रों में स्थिति खराब...

डब्ल्यूएचओ के अनुसार दक्षिणपूर्व एशियाई क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा खराब है। भारत, पाकिस्तान, फिलीपींस और मैक्सिको ऐसे देश हैं जहां कोरोना महामारी के कारण बच्चों के लिए चलने वाला जरूरी टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है। इन देशों में सबसे अधिक संयुक्त रूप से लगने वाला डीटीपी-1 टीके की पहली खुराक तक बच्चों को नहीं लगी है। बच्चों को टीका न लगने का कारण कोरोना का डर और बेहतर व्यवस्था का न हो पाना है।

टीकाकरण दर में कमी चिंताजनक

रिपोर्ट के अनुसार 2019 में 35 लाख बच्चों को डीटीपी-1 टीके की पहली खुराक नहीं लगी थी। इसी तरह तीस लाख बच्चों को खसरे के टीके की पहली डोज नहीं लग पाई थी। गवि के सीईओ डॉ. सेठ बर्कले का कहना है कि महामारी से पहले डीपीटी, खसरा और पोलियों के टीकाकरण की दर 86 फीसदी थी, जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 95 फीसदी है। वे बताते हैं कि महामारी के कारण टीकाकरण की दर में गिरावट चिंताजनक स्थिति है। सभी देशों को इस ओर ध्यान देना होगा नहीं खसरा, पोलियो जैसी बीमारियां फिर से नई मुश्किल खड़ी कर सकती हैं।



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