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एशिया प्रशांत समूह द्वारा 2021 में दिए गए सात बिंदुओं में से छह का अनुपालन किया है।
जर्मनी में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में कंगाल पाकिस्तान को एक बार फिर करारा झटका लगा। एफएटीएफ में चीन, तुर्की और मलेशिया समेत दुनिया के कई देशों की नापाक कोशिशों के बाद भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से नहीं निकल पाया। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहने से कंगाल पाकिस्तान को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। एफएटीएफ ने एक दल भेजने का ऐलान किया है जो पाकिस्तान के उठाए गए कदमों की जांच करेगा। एफएटीएफ के फैसले के बाद पाकिस्तान में जश्न मनाया जाने लगा और इमरान खान से लेकर पाकिस्तानी सेना में श्रेय लेने की होड़ लग गई है। उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पालने वाले अभी पाकिस्तान की राह बहुत मुश्किल है। आइए समझते हैं पूरा मामला....
वैश्विक स्तर पर आतंकियों के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने शुक्रवार को ऐलान किया कि 4 साल तक ग्रे लिस्ट में रखने के बाद अब वह पाकिस्तान को इस सूची से निकालने की प्रक्रिया को शुरू कर रही है। इन 4 वर्षों में पाकिस्तान को मजबूरन आतंकियों के वित्तपोषण रोकना पड़ा है, नहीं तो उसके ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा था। एफएटीएफ ने कहा कि उसका दल पाकिस्तान जाएगा और मौके पर जाकर यह जांच करेगा कि पाकिस्तान ने जो दावा किया है, वह ठीक ढंग से पूरा हुआ है या नहीं। साथ ही आतंकियों के खिलाफ जारी अभियान आगे भी जारी रहेगा या नहीं और भविष्य में भी इसके क्रियान्वयन के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता बनी रहेगी या नहीं।
पाकिस्तान के भविष्य का फैसला अमेरिका के हाथों में!
पाकिस्तानी विशेषज्ञों का कहना है कि अभी फैसले से पहले जश्न नहीं मनाना चाहिए या क्रेडिट लेने की होड़ नहीं लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑन साइट विजिट में तकनीकी विशेषज्ञ होंगे जो हमारे उठाए हर कदम की जांच करेगा। इस ऑडिट से अहम यह है कि अमेरिका हमारा साथ देता है या नहीं। विशेषज्ञों ने कहा कि अगर तकनीकी विशेषज्ञ जांच भले करेंगे लेकिन ग्रे लिस्ट से निकालने का अंतिम फैसला राजनीतिक होगा जो अमेरिका लेगा। अमेरिका को अगर लगता है कि उसके संबंध पाकिस्तान से अच्छे हो गए हैं और उसे निकालना चाहिए तो पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर हो जाएगा। वहीं अगर अमेरिका को लगता है कि अभी पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखने की जरूरत है तो यह एफएटीएफ का तकनीकी मिशन अपनी रिपोर्ट पाकिस्तान के खिलाफ भी दे सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान के ऊपर अभी भी तलवार लटक रही है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ आतंकी जैसे हाफिज सईद की सजा को लेकर बड़ा सवाल है। एफएटीएफ के विशेषज्ञों का कहना है कि हाफिज सईद को अंतिम अदालत तक सजा दिलवाना होगा। इस बात का भी खतरा है कि पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से निकलने के बाद हाफिज सईद को सुप्रीम कोर्ट राहत दे दे, या फिर पाकिस्तान के राष्ट्रपति उसे माफी दे दें। ऐसे में एफएटीएफ हमें इस मुद्दे पर फंसा सकता है। यही नहीं पाकिस्तान का दावा है कि उसने कई आतंकियों को जेल में डाल दिया है, एफएटीएफ के विशेषज्ञ जेल में जाकर इसकी जांच कर सकते हैं।
लश्कर समेत 8 आतंकी गुटों के खिलाफ एक्शन की मांग कर रही दुनिया
दुनियाभर के देश लंबे समय से एफएटीएफ के जरिए पाकिस्तान से मांग कर रहे हैं कि वह उसे 8 आतंकी गुटों को निशाना बनाना होगा। इसमें तालिबान, हाफिज सईद का जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, अलकायदा और इस्लामिक स्टेट शामिल हैं। इस बीच पाकिस्तान को उम्मीद है कि वह ग्रे लिस्ट से बाहर हो जाएगा। अपडेट के अनुसार, पाकिस्तान ने 2018 में एफएटीएफ द्वारा की गई 27 सिफारिशों में से 26 और एशिया प्रशांत समूह द्वारा 2021 में दिए गए सात बिंदुओं में से छह का अनुपालन किया है।
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