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आने वाले समय में भारत पर और भी अधिक निर्भर हो सकते है व्लादिमीर पुतिन, जानें वजह

Renuka Sahu
1 Jun 2022 1:01 AM GMT
In the coming times, Vladimir Putin may depend even more on India, know the reason
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फाइल फोटो 

यूरोपीय संघ द्वारा रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने की स्थिति में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आने वाले समय में भारत एवं चीन पर और भी अधिक निर्भर रहने की जरूरत पड़ सकती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूरोपीय संघ द्वारा रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने की स्थिति में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आने वाले समय में भारत एवं चीन पर और भी अधिक निर्भर रहने की जरूरत पड़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एशिया में कुछ अन्य खरीदार कच्चे तेल की किस्मों को संसाधित करने में सक्षम हैं जो आमतौर पर यूरोप खरीदता है. यूरोपीय संघ के नेताओं ने समुद्र में भेजे जाने वाले रूसी कच्चे तेल पर आंशिक प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की है और निर्यात की वजह से होने वाले राजस्व में आयी भारी कमी से जूझ रहे पुतिन को इससे प्रति वर्ष 10 अरब डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि रूस के प्रमुख यूराल क्रूड को यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से दूर रखा जा सकता है. यूराल क्रूड एक तेल ब्रांड है जो यूरोप में काफी लोकप्रिय था, लेकिन यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस को अब इसके लिए एक नए खरीदार की जरूरत है क्योंकि एशिया में भी इसके कुछ ही खरीदार मौजूद होंगे. व्यापारियों ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देशों में ऐसे तेल को बड़ी मात्रा में आसानी से परिष्कृत नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अत्यधिक सल्फ्यूरिक किस्म के तेल को संभालने के लिए उनके पास परिष्कृत प्रसंस्करण और सम्मिश्रण क्षमता नहीं है.
ऐसे हालात में चीन और भारत पर रूस की निर्भरता काफी बढ़ सकती है क्योंकि इन दोनों देशों के पास अतिरिक्त बैरल लेने के लिए यूराल को संसाधित करने वाली रिफाइनरियां हैं. व्यापारियों ने कहा कि महीनों के लॉकडाउन से निकल रहे शंघाई के अपने पुराने दिनों में लौटने के साथ, चीन की सरकारी और निजी रिफाइनरी अपनी जरूरतों के लिए रूस से और अधिक तेल खरीद सकते हैं.
हालांकि, चीन और भारत वास्तविक रूप से कितना तेल खरीद सकते हैं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि संभव है कि इस पर एक सीमा लगायी जाए. दोनों देश पहले से ही रूसी तेल की रिकॉर्ड मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं, जिसे यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से यूरोप ने रूस से लेना छोड़ दिया है.
यूरोपीय संघ ने रूस से अधिकांश तेल आयात पर पाबंदी का लिया फैसला
गौरतलब है कि यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस के खिलाफ सबसे बड़ा कदम उठाते हुए यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने इस साल के अंत तक रूसी तेल के अधिकांश आयात को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है. यूरोपीय नेताओं ने सोमवार रात को रूस से किए जाने वाले 90 फीसदी तेल आयात को रोकने का फैसला लिया. इस फैसले को अगले छह महीनों में लागू कर दिया जाएगा. यूक्रेन को वित्तीय मदद देने के लिए लंबे समय से लंबित पैकेज पर केंद्रित यूरोपीय देशों के एक शिखर सम्मेलन में यह फैसला किया गया.
यूरोप तेल की 25% जरूरत के लिए रूस पर निर्भर
यूरोप तेल की अपनी 25 फीसदी जरूरत और प्राकृतिक गैस की 40 फीसदी जरूरत के लिए रूस पर निर्भर करता है. ऐसे में उनके लिए अधिकांश तेल आयात प्रतिबंधित करना एक मुश्किल भरा फैसला था. खास तौर पर ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर बुरी तरह आश्रित देश ऐसा करने से बचना चाहते थे. इस प्रतिबंध में समुद्र के रास्ते लाया जाने वाला रूसी तेल भी शामिल है, जिससे पाइपलाइन द्वारा आयात के लिए अस्थायी छूट भी मिलती है. इस फैसले पर आम सहमति के लिए हंगरी की सहमति महत्वपूर्ण थी.
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