विश्व बैंक की वार्षिक आम बैठक में जार्जीवा ने कहा- भारत के लोगों को बचाने और उनके स्वास्थ्य की देखभाल पर ज्यादा ध्यान देने की है जरूरत
कोविड-19 को बताया मानवीय संकट
उन्होंने आगे कहा कि जब तक हमारे पास स्वास्थ्य संकट से निपटने का एक टिकाऊ रास्ता नहीं है, हमें कठिनाइयों, अनिश्चितता और असमान सुधार का सामना करना पड़ेगा. कोविड-19 को एक मानवीय संकट बताते हुए उन्होंने कहा कि खासतौर से जिन देशों में मौत अधिक हुई हैं, वहां ये संकट कहीं ज्यादा गहरा है. उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी से भारत में एक लाख लोगों से अधिक की मौत हो चुकी है. जार्जीवा ने कहा, ''इसलिए लोगों को बचाने और उनकी सेहत पर ध्यान देने की प्राथमिकता होनी चाहिए.''
भारत ने क्षमता के अनुसार उपाय किए हैं
उन्होंने कहा, ''भारत ने अपनी क्षमता के अनुसार उपाय भी किए हैं, दो प्रतिशत राजकोषीय उपाय और गारंटी के रूप में चार प्रतिशत राहत, लेकिन प्रत्यक्ष राजकोषीय उपाय नहीं किए गए.'' उन्होंने कहा, ''इससे मदद मिलती है, लेकिन जब आप विकसित अर्थव्यवस्थाओं की क्षमताओं को देखते हैं, या कुछ अन्य उभरते बाजारों के उपायों को देखते हैं, तो यह कुछ हद तक कम नजर आती है.हम इस साल भारत में बेहद आश्चर्यजनक रूप से जीडीपी में दस प्रतिशत की गिरावट देख रहे हैं.''
अच्छे समय में मजबूत बुनियाद करनी है तैयार
जार्जीवा ने कहा कि भारत की एक जीवंत अर्थव्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि अच्छे वक्त में देश अपनी बुनियाद को मजबूत करके बुरे वक्त का मुकाबला अधिक मजबूती से कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस संकट का सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि अच्छे समय में मजबूत बुनियाद तैयार करनी है.ऐसे में जब बुरा वक्त आता है तो अधिक लचीलापन दिखाया जा सकता है.