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कि उनके वेतन में प्रति माह शुद्ध 300 यूरो की वृद्धि की जानी चाहिए। कंपनियों ने इसको खारिज कर दिया है।
पेरिसमें हवाई अड्डे के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से हालात काफी खराब हो गए हैं। इसके वजह से यहां के मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा रोइसी-चार्ल्स डी गुले पर शुक्रवार को मजबूरन लगभग दस फीसद उड़ानों को रद करना पड़ा है। इससे यात्रियों को भी खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए वेतन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।
आपको बता दें कि गर्मियों में दुनिया भर के पर्यटक पेरिस का रुख करते हैं। इस दौरान यहां पर आने वाले विमानों की संख्या में भी इजाफा हो जाता है। मौजूदा समय में एयरपोर्ट पर कर्मचारियों की कमी का जबरदस्त सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल पर जाने वाले कर्मियों का कहना है कि कोरोना के चलते स्टाफ की कमी से दिक्कत बढ़ गई है। उन्हें लगातार कई घंटे काम करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई से भी हालत पतली हो गई है। इसके बावजूद उनके वेतन में इजाफा नहीं किया गया है।
हवाई अड्डे के संचालक एडीपी का कहना है कि उन्हें इस हड़ताल की वजह से 100 उड़ानों के रद करने की आशंका है। इसमें 50 आने और इतनी ही जाने वाली फ्लाइट्स शामिल हैं। इस बीच पेरिस हवाई अड्डे पर यात्रियों की लंबी कतार देखी गई है। इन यात्रियों ने हड़ताल की सूरत में कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है। फिलीपींस के एक पर्यटक ने बताया कि वो सुबह तीन बजे से यहां पर इंतजार ही कर रहा है। ये अब असहनीय हो रहा है। इस यात्री को यहां से मैक्सिको जाना है। बता दें कि कोरोना महामारी की वजह यूरोपीय देशों में महंगाई का जबरदस्त संकट देखने को मिला है। इस महंगाई ने लोगों के घरों के बजट को भी खराब कर दिया है। ब्रिटेन में महंगाई दर पिछले महीने 9.1फीसद दर्ज की गई है।
कर्मचारियों की इस हड़ताल को टालने के लिए गुरुवार मध्यरात्रि को भी प्रयास किया गया था। इसके बाद शुक्रवार को भी दोबारा बैठकों का दौर चला। पहले से ही संकट की मार झेल रहे विमानन सेवा को इस हड़ताल ने और पंगु बना दिया है। एक कर्मचारी ने बताया कि उन्हें छुट्टी वाले दिन भी बुला लिया जाता है। ये भी नहीं पूछा जाता है कि हम इसके लिए तैयार हैं या नहीं। बता दें कि कोरोना महामारी के बाद ADP और कर्मचारी यूनियनों के बीच पिछले वर्ष एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। लेकिन कर्मचारियों का अब कहना है कि तब और अब के हालात काफी बदल चुके हैं। कर्मचारी यूनियनों की मांग है कि उनके वेतन में प्रति माह शुद्ध 300 यूरो की वृद्धि की जानी चाहिए। कंपनियों ने इसको खारिज कर दिया है।
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