विश्व
नेपाल में हर पक्ष को पसंद है अमेरिका, एसपीपी विवाद से ओली और सेना बेनकाब
Kajal Dubey
17 Jun 2022 1:17 PM GMT
x
पढ़े पूरी खबर
अमेरिका सरकार के स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम (एसपीपी) में नेपाल के शामिल होने को लेकर अब भड़क उठे विवाद में नेपाली की सेना की साख बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस बुधवार को नेपाली सेना ने खंडन किया कि उसका एसपीपी से कोई संबंध है, लेकिन उसके एक ही दिन बाद मीडिया में नेपाली सेना की तरफ से काठमांडू स्थित अमेरिकी राजदूत को लिखा गया पत्र लीक हो गया। इस पत्र में नेपाली सेना ने अमेरिकी दूतावास से अमेरिका के नेशनल गार्ड के एसपीपी को नेपाल में स्थापित करने का अनुरोध किया था।
इस लीक से यह भी साफ हो गया है कि ये पत्र तब लिखा गया, तब केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री थे। इससे नेपाल के सत्ताधारी गठबंधन को ओली और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) को घेरने का बढ़िया मौका मिल गया है। खासकर इससे सत्ताधारी गठबंधन में शामिल नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) को ओली पर हमला करने का मौका मिला है।
पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल ने गुरुवार को एक समारोह में कहा कि सत्ताधारी गठबंधन का नेता होने के नाते मैं घोषणा करना चाहता हूं कि नेपाल किसी तरह का सैनिक समझौता नहीं करेगा। ऐसा वादा प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं। नेपाली मीडिया में लीक हुए पत्र के मुताबिक, इसे 27 अक्तूबर 2015 को भेजा गया था। तब रक्षा मंत्रालय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली के पास ही था। उस समय एलिना बी टेलिट्ज नेपाल में अमेरिका की राजदूत थी। ये पत्र उनको ही संबोधित किया गया था।
ये पत्र मीडिया में छपने के बाद नेपाली सेना ने स्वीकार किया कि यह एक आधिकारिक पत्र था। सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल नारायण सिलवाल ने एक बयान में कहा कि ये पत्र 2015 में आए भूकंप के बाद लिखा गया। इसमें आपदा से निपटने के लिए साजो-सामान और ट्रेनिंग की गुजारिश की गई थी। पत्र में जिस एपीपी का जिक्र है, वह अमेरिका के नेशनल गार्ड का था, ना कि अमेरिकी सेना का।
एसपीपी के मसले पर नेपाल की राजनीति गरमाई हुई है। संसद में यूएमएल पार्टी के सांसद लगातार इस बारे में प्रधानमंत्री देउबा से सफाई मांग रहे हैं। पार्टी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप गयावली ने कहा है कि सैनिक गठबंधन में शामिल होने पर नेपाल भू-राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा बन जाएगा।
ये मुद्दा इसी हफ्ते कुछ वेबसाइटों पर एक दस्तावेज छपने के बाद उठा। उन वेबसाइटों का दावा था कि छह पेज का यह दस्तावेज अमेरिका की तरफ से भेजा गया है, जिसमें नेपाल पर एसपीपी का हिस्सा बनने के लिए दबाव डाला गया है, लेकिन अमेरिकी दूतावास ने इस दस्तावेज को फर्जी बताया है। दूतावास ने सफाई दी है कि अमेरिका अपनी नीति के तहत किसी देश से एसपीपी का हिस्सा बनने को नहीं कहता। अगर किसी देश से ऐसा अनुरोध आता है, तभी वह उस पर अपना जवाब देता है।
अब नेपाली सेना का पत्र लीक होने के बाद यह साफ हो गया है कि पहल नेपाली सेना की तरफ से की गई थी। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये बात संभव नहीं है कि इसकी जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री को ना रही हो। इस वजह से केपी शर्मा ओली के लिए असहज स्थिति पैदा हुई है। नेपाली सेना ने खुद इस पत्र की जानकारी ना देकर अपनी साख को भी धूमिल कर लिया है।
Next Story