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बांग्लादेश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी SSF के हाथ में है.
आज से 50 साल पहले बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली थी. बांग्लादेश आज अपनी उसी आजादी की 50वीं सालगिरह का जश्न मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस जश्न के मुख्य अतिथि थे और आज वो ढाका के नेशनल परेड स्क्वॉयर में हुए भव्य कार्यक्रम में शामिल भी हुए. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद पड़ोसी बांग्लादेश को 12 लाख वैक्सीन का तोहफा भी दिया. हालांकि भारत बांग्लादेश को 20 लाख वैक्सीन का तोहफा पहले ही दे चुका है.
इस मौके पर पीएम ने अपने भाषण में बांग्लादेश की आजादी के दौरान इंदिरा गांधी की भूमिका की तारीफ की. प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश से दोस्ती की गांठ मजबूत करते हुए उस पल को भी याद किया जब भारतीय सेना के अदम्य साहस और मदद से बांग्लादेश आजाद हुआ. आज प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश से रिश्ता और खास बना दिया. उन्होंने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को दिया गया गांधी शांति पुरस्कार उनकी छोटी बेटी शेख रेहाना को सौंपा.
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता
इससे प्रधानमंत्री मोदी का संदेश साफ है. भारत के लिए बांग्लादेश ना सिर्फ एक पड़ोसी है, बल्कि भारत का बांग्लादेश से सांस्कृतिक जुड़ाव का रिश्ता है और ये भारत के लिए भी गौरव की बात है. तभी तो प्रधानमंत्री बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष को अपने जीवन के पहले आंदोलन से जोड़कर देखते हैं. लेकिन इस मौके पर हमारे लिए ये समझना जरूरी है कि भारत-बांग्लादेश के मजबूत संबंधों के बीच पश्चिम बंगाल एक अहम कड़ी है, क्योंकि पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता है.
आज ये बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ज्यादा समझने की जरुरत है कि भारत के लिए बांग्लादेश के क्या मायने हैं, क्योंकि कोरोना काल में 15 महीने बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी का विदेश दौरा बांग्लादेश का ही हुआ है. पीएम मोदी का ये बांग्लादेश दौरा खास है. खास इसलिए भी कि ये भारत-बांग्लादेश की दोस्ती का गोल्डन जुबली साल है. आज ही के दिन शेख मुजीब उर रहमान ने 50 साल पहले बांग्लादेश की आजादी का ऐलान किया और भारत बांग्लादेश को मान्यता देने वाला पहला देश बना.
एयरपोर्ट पर ही पीएम मोदी को दिया गया गॉर्ड ऑफ ऑनर
आज ही भारत बांग्लादेश के कूटनीतिक रिश्तों की भी शुरुआत हुई और इस रिश्ते को मजबूत करने जब पीएम मोदी सुबह 10.30 बजे ढाका पहुंचे तो उनका स्वागत रेड कार्पेट बिछा कर किया गया. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद एयरपोर्ट पर उनका स्वागत बुके देकर किया. ये तस्वीर दोनों देशों के रिश्तों की गर्माहट खुद बयां करती है. इन तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बांग्लादेश के लिए भारत के मायने क्या हैं. दोस्ती के इस दमदार माहौल में एयरपोर्ट पर ही पीएम मोदी को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
ढाका की धरती पर पीएम का जोरदार स्वागत दाउदी बोहरा समुदाय ने भी किया. प्रधानमंत्री खुद दाउदी बोहरा समुदाय के लोगों से भी मिले. ये ऐसा पल था जिसे यादकर बोहरा समुदाय के लोग काफी खुश हैं. प्रधानमंत्री के बंग्लादेश के दौरे से हर समुदाय के लोग, हर क्षेत्र के लोग काफी खुश हैं. पीएम मोदी बांग्लादेश के राजनीतिक दलों, विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिले. साथ ही बांग्लादेश के सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों से भी पीएम मोदी ने मुलाकात की.
शाकिब अल हसन भी पीएम मोदी से मिले
बांग्लादेश क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर शाकिब अल हसन भी पीएम मोदी से मिले. शाकिब ने मुलाकात के लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया. वैसे मौका बांग्लादेश की आजादी का है तो हिंदुस्तान शहीदों की कुर्बानी को कैसे भुला सकता है. प्रधानमंत्री भी शहीदों को नमन करने शहीद स्मारक गए. भारत और बांग्लादेश के उन योद्धाओं को याद किया, जिनकी वीर गाथाएं आज भी गाई जाती हैं. रेसकोर्स ग्राउंड पर बना लिबरेशन वार मेमोरियल है, जहां 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था. यहां वो टेबल आज भी मौजूद है जिस पर जनरल नियाजी ने भारतीय फौज के सामने दस्तखत किए थे.
यहां आसपास में उंस दौर की तमाम तस्वीरें लगी हैं जो 1971 की यादों को ताजा कर रही है. आज इसे समझने की जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश दौरा कई मायनों में अहम है, क्योंकि ये ना केवल एक राजनयिक दौरा है, बल्कि इससे दोनों देशों के भावनात्मक जुड़ाव को भी मजबूती मिल रही है. प्रधानमंत्री के दो दिन के बांग्लादेश दौरे में एक चर्चा मतुआ समुदाय की भी हो रही है. ये चर्चा पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों देशों में हो रही है.
पश्चिम बंगाल में इसलिए क्योंकि वहां इस समुदाय के लोगों का वोट बहुत अहम है और बांग्लादेश में इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल
ओराकांडी के मतुवा मंदिर भी जाएंगे. ये मतुआ समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है. ओराकाण्डी में ठाकुरबाड़ी यानी मतुआ समुदाय के सबसे बड़े तीर्थस्थल की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब बंग्लादेश की SSF ने ली है. ये भारत के SPG जैसी है. बांग्लादेश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी SSF के हाथ में है.
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