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अमेरिका और चीन में तू तू-मैं मैं, नेपाल के सामने है कठिन डगर
Kajal Dubey
17 July 2022 6:47 PM GMT

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अमेरिका और चीन के बीच जारी टकराव में नेपाल किस तरह उलझता जा रहा है, इसकी फिर एक मिसाल सामने आई है। नेपाल के अंदरूनी मामलों पर दोनों देश जिस तरह खुलेआम बयान दे रहे हैं और उस पर नेपाल जिस तरह चुप है, उससे यहां पर्यवेक्षक चकित हैं। ताजा विवाद नेपाल के लिए नियुक्त हुए अमेरिकी राजदूत डीन आर. थॉम्पसन के बयान से भड़का है।
अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद थॉम्पसन ने इसी हफ्ते कहा था कि वे नेपाल सरकार को तिब्बती सहित तमाम शरणार्थियों के हित में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उसके बाद अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के सामने उन्होंने कहा कि नेपाल ने 'चीन के दुष्प्रचार अभियान' के बावजूद अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से 50 करोड़ डॉलर की मदद स्वीकार के करार का संसदीय अनुमोदन किया।
अब चीन ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। काठमांडू स्थित चीनी राजदूत ने एक बयान में अमेरिका के नियुक्त राजदूत के बयान को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। दूतावास ने कहा- 'अमेरिकी राजदूत ने ना सिर्फ चीन पर लांछन लगाया है, बल्कि नेपाल और नेपाली जनता का अपमान भी किया है। यही असली दुष्प्रचार है।'
अमेरिकी सीनेट की कमेटी के सामने थॉम्पसन ने अपना बयान उस समय दिया, जब उनकी नियुक्ति की पुष्टि के लिए वहां सुनवाई शुरू हुई। अगर कमेटी ने उनकी नियुक्ति की पुष्टि की, तभी वे राजदूत का पद संभाल सकेंगे। यहां चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग शियालोंग ने अपने बयान में कहा कि किसी देश के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। ना उस पर कोई राजनीतिक शर्त थोपी जानी चाहिए और ना ही उसे धमकाने की कूटनीति की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपना स्वार्थ साधने के लिए किसी देश की संप्रभुता और हितों के खिलाफ कदम नहीं उठाए चाहिए।
पिछले साल एमसीसी से हुए करार के संसदीय अनुमोदन को लेकर नेपाल में भारी विवाद उठा था। तब चीन ने नेपाल को अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में ना उलझने की सलाह दी थी। थॉम्पसन ने उसी चीनी वक्तव्य का जिक्र अपने बयान में किया। उस समय विपक्षी दलों को मनाने के लिए नेपाल सरकार ने संसदीय अनुमोदन के साथ उसकी व्याख्या करने वाला एक प्रस्ताव भी पारित कराया था। उसमें कहा गया था कि एमसीसी से हुआ करार नेपाली संविधान के मातहत होगा और नेपाल किसी भी स्थिति में अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में शामिल नहीं होगा।
वांग ने अपने बयान में इस व्याख्यात्मक प्रस्ताव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार ने यह वैध कदम अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता, और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाया। बताया जाता है कि थॉम्पसन के बयान में तिब्बती शरणार्थियों के जिक्र से भी चीन नाराज हुआ है।
यहां विदेश नीति संबंधी विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों तरफ से दिए जा रहे ये बयान इस बात का ही संकेत हैं कि अमेरिका और चीन के बीच नेपाल में अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की होड़ अभी और बढ़ेगी। इस होड़ में नेपाल किस तरह ज्यादा झुकेगा, यह अगले आम चुनाव में सामने वाले नतीजों से तय होगा।
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