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अफगानिस्तान में दो वक्त की रोटी के लिए अपनी किडनी तक बेच रहे लोग, 1500 डॉलर में लग रही अंगों की बोली, बेरोजगारी व कर्ज से काबुल बेहाल
Renuka Sahu
1 March 2022 4:09 AM GMT
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फाइल फोटो
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद हालात बद से बदतर हो रहे हैं। लोग दो वक्त की रोटी के लिए अपनी किडनी तक बेचने को मजबूर हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद हालात बद से बदतर हो रहे हैं। लोग दो वक्त की रोटी के लिए अपनी किडनी तक बेचने को मजबूर हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती बेरोजगारी और कर्ज के बोझ बोझ है। ऐसे में परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है।
ऐसे ही एक पीड़त हैं 32 वर्षीय नूरुद्दीन। उन्होंने बताया कि किडनी बेचने के अलावा उनके पास कोई विकल्प तक नहीं बचा था। यहां लोग अपने परिवारों को बचाने के लिए अपने शरीर का कोई भी एक अंग का त्याग करने को तैयार हैं। मुझे अब इसका पछतावा है। मैं अब अपने शरीर से काम नहीं कर सकता। मुझे दर्द हो रहा है। मैं और मेरा परिवार अब आगे की जीविका के लिए मेरे 12 वर्षीय बेटे पर निर्भर है, वह दिन में करीब 49 अफगानी मुद्रा के लिए जूते पालिश करता है।
नूरुद्दीन उन आठ पीड़ितों में शामिल है, जो अब तक अपनी एक किडनी बेच चुके हैं। कुछ ने तो 1,500 डॉलर (तकरीबन 1,13,524 रुपये) में अपनी किडनी बेच दी। नूरुद्दीन जैसी कहानी शकीला की भी है, जो पहले से ही 19 साल की उम्र में दो बच्चों की मां बनीं। शकीला भी अपने बच्चों की खातिर अपनी एक किडनी बेच चुकी है। बकौल शकीला, भूख के कारण हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। मैंने 1,500 डॉलर लेकर अपनी किडनी दे दी। लेकिन मिली रकम का ज्यादातर हिस्सा परिवार के कर्ज को निपटाने में खर्च हो गया।
'किडनी नहीं बिकी, तो बेचनी पड़ सकती है बेटी'
तीन बच्चों की मां अजीजा फिलहाल अपनी किडनी बेचने के लिए ग्राहक ढूंढ रही है। अजीजा ने कहा, मेरे बच्चे सड़कों पर भीख मांगते हुए घूमते हैं। अगर मैं अपनी किडनी नहीं बेचती, तो मुझे अपनी एक साल की बेटी को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बता दें कि दशकों के युद्ध के बाद पहले से ही अफगानिस्तान की मानवीय स्थिति बिगड़ हुई थी और छह महीने पहले तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान और वित्तीय संकट में डूब गया है।
अधिकांश देशों में है प्रतिबंध...अधिकांश विकसित देशों में शरीर के अंगों को बेचना या खरीदना अवैध है। लेकिन अफगानिस्तान में फिलहाल ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। अफगानिस्तान के उत्तरी शहर मजार-ए शरीफ के एक अस्पताल के एक पूर्व शीर्ष सर्जन प्रोफेसर मोहम्मद वकील मतीन ने कहा, इस पर नियंत्रण के लिए यहां कोई कानून नहीं है कि अंगों को कैसे दान या बेचा जा सकता है, लेकिन दान करने वालों की सहमति जरूरी है।
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