पाकिस्तान में सेना और खुफिया संगठन आइएसआइ की आलोचना करके राजनीतिक दलों और संगठनों के निशाने पर आए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को सफाई दी। उन्होंने कहा, उनकी पार्टी सेना को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत करना चाहती है। उनकी आलोचना का मकसद सेना को नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि उसे मजबूत और बेहतर बनाना है। इमरान के नेतृत्व में उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का लांग मार्च (हकीकी आजादी मार्च) तीसरे दिन भी जारी रहा। हालांकि एक महिला पत्रकार की मौत के बाद वह कुछ घंटों तक थमा भी रहा। उससे पहले इमरान ने कई स्थानों पर रुककर लोगों को संबोधित किया और मार्च के मकसद को बताया। उन्होंने कहा कि वह जो भी आलोचना कर रहे हैं-वह देश की भलाई में कर रहे हैं। उनका मकसद नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि सुधार करना है। वह चाहते हैं कि सेना मजबूत बने, क्योंकि पाकिस्तान को मजबूत सेना चाहिए।
सेना की आलोचना को गलत अर्थों में लिया गया
इमरान ने कहा कि सेना की उनकी आलोचना को गलत अर्थों में लिया गया। इमरान का यह बयान तब आया है जब भारत और पाकिस्तान के मीडिया ने सेना की बुराई करने के उनके बयान को प्रमुखता से प्रसारित किया है। इमरान ने कहा, भारत किसी मुगालते में न रहे, हम अपनी सेना के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत में इस बात को लेकर भी खुशी मनाई जा रही है कि आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम प्रेस कान्फ्रेंस कर इमरान को बुरा-भला कह रहे हैं। भारत में इसे सेना और इमरान के बीच की लड़ाई के तौर पर पेश किया जा रहा है।
सेना की तारीफ की
इमरान ने कहा, वह भारत को बताना चाहते हैं कि सेना हमारी है और वह कभी भी उसके खिलाफ नहीं हो सकते। विदित हो कि पाकिस्तान में सेना इतनी शक्तिशाली है कि आजादी के 75 वर्षों में आधे से ज्यादा समय तक देश पर सेना का ही शासन रहा है। शासन से दूर रहकर भी सेना चुनी हुई सरकार के फैसलों को प्रभावित करती रही है।
बूट पालिश करने वालों से बात नहीं करता
मुरीदके में सड़क के किनारे एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए इमरान ने कहा, वह बूट पालिश करने वाले लोगों से बात नहीं करते। उन्होंने यह बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर संकेत करते हुए कही। शरीफ ने सेना प्रमुख की नियुक्ति के संबंध में इमरान से कोई बात न होने की बात कही थी।-