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सत्ता परिवर्तन की साजिश संबंधी इमरान खान के दावों को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, अमेरिका पर फंडिंग और सरकार गिराने का लगाया था आरोप

Renuka Sahu
16 July 2022 3:05 AM GMT
Imran Khans claims regarding conspiracy to change power were rejected by the Pakistani Supreme Court, accusing America of funding and toppling the government
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फाइल फोटो 

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता परिवर्तन की साजिश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के दावों को खारिज कर दिया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट (Pakistan Supreme) ने सत्ता परिवर्तन की साजिश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के दावों को खारिज कर दिया है. खान को 10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटा दिया गया था, लेकिन उन्होंने संसद के फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. खान ने अमेरिका पर स्थानीय सहयोगियों की मदद से उनकी सरकार को बदलने का आरोप लगाया था. शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को तत्कालीन डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने से संबंधित एक मामले में बृहस्पतिवार को एक विस्तृत फैसले में लिखा कि उसे सत्ता परिवर्तन के दावे के समर्थन में सबूत नहीं मिले.

सूरी ने प्रस्ताव को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पाकिस्तान (Pakistan) यह विदेशी मदद से सरकार बदलने का प्रयास था. अदालत ने अपने आदेश में सूरी के फैसले को अवैध घोषित किया था और प्रस्ताव पर मतदान का आदेश दिया था. अदालत ने अपने विस्तृत फैसले में खान और उनके समर्थकों के इस दावे का समर्थन नहीं किया कि सरकार विदेशी हस्तक्षेप से बदली गई थी. अन्य बातों के अलावा, अदालत ने माना कि आरोप अस्पष्ट थे और सबूतों द्वारा समर्थित नहीं थे.
अदालत ने अपने फैसले में कहा, इस आशय का कोई अवलोकन नहीं किया गया था कि अविश्वास प्रस्ताव (आरएनसी) विपक्षी दलों द्वारा या पाकिस्तान में व्यक्तियों द्वारा एक विदेशी राष्ट्र के साथ साजिश के तहत पेश किया गया था; और आरएनसी को पेश करने के लिए किसी विदेशी राष्ट्र का समर्थन लेने के लिए पाकिस्तान में किसी भी व्यक्ति की भागीदारी की प्रकृति या सीमा का पता लगाने के लिए मामले में कोई जांच/पड़ताल का आदेश नहीं दिया गया था.
अदालत ने यह भी पूछा कि जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में थी, तो उसने जांच के आदेश क्यों नहीं दिए. प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने विस्तृत फैसला लिखा और न्यायमूर्ति मियांखेल तथा न्यायमूर्ति मंडोखाइल ने अलग टिप्पणी की। लेकिन तीनों ही न्यायाधीश इस बात पर सहमत थे कि सूरी ने कानून का उल्लंघन किया था.
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