पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के यूट्यूब चैनल का नाम बदलने से अटकलें तेज हो गई हैं कि इमरान खान रविवार को इस्लामाबाद में उनके द्वारा बुलाई गई सार्वजनिक रैली में प्रधानमंत्री पद छोड़ सकते हैं. रैली इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की ताकत का प्रदर्शन है क्योंकि विपक्ष उनकी सरकार को हटाने के लिए नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार है. बढ़ते आर्थिक संकट से जूझ रहे इमरान खान और सामाजिक चुनौतियों के रूप में उनकी सरकार विपक्ष द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है. शनिवार को यूट्यूब चैनल के नाम में हुए बदलाव ने इसके संकेत दिए हैं कि जब चैनल का नाम प्रधानमंत्री कार्यालय था तब चैनल का वैरिफाइड ब्लू टिक था और अब इसका नाम बदलकर 'इमरान खान' कर दिया गया है. इमरान खान ने विपक्ष के विरोध को "डकैत" करार देते हुए विपक्ष पर कड़ा प्रहार किया है और लोगों से 27 मार्च को इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में बड़ी संख्या में आने का आग्रह किया है.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने एक ट्वीट में इमरान खान का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान के पीएम चाहता हैं कि उनके लोग रविवार को परेड ग्राउंड में आएं. रविवार को हम लोगों का जनसैलाब दिखाएंगे. इमरान खान के लिए राजनीतिक चुनौतियां तब भी बढ़ गई हैं, जब उनकी सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ 6 बिलियन अमरीकी डालर के बचाव पैकेज पर बातचीत कर रही है. साथ ही बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि से जूझ रही है.
इस्लामाबाद में पीपीपी की रैली के बाद 8 मार्च को विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था. विपक्ष को भरोसा है कि उसके प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाएगा क्योंकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कई सांसद पीएम इमरान खान के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शुक्रवार को सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि जैसे-जैसे महत्वपूर्ण अविश्वास प्रस्ताव सत्र नजदीक आता जा रहा है और राजनीतिक गठजोड़ में अनिश्चितता बनी हुई है, सत्ताधारी दल के कम से कम 50 मंत्री राजनीतिक मोर्चे से लापता हो गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 से अधिक संघीय और प्रांतीय मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है क्योंकि विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ संकट खड़ा करना शुरू कर दिया है. बढ़ते दबाव के बीच इमरान खान ने बुधवार को कहा था कि वह किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे.
जियो न्यूज के मुताबिक, खान ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि सेना के साथ उनके अच्छे संबंध हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी सेना ने खान पर से विश्वास खो दिया है, जिसके कारण खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति पर गतिरोध पैदा हो गया है.