पाकिस्तान की संसद में इमरान खान सरकार के खिलाफ पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव शनिवार देर रात मतदान के बाद पास हो गया। इमरान के विपक्ष में 174 वोट पड़े। इसी के साथ तय हो गया कि इमरान खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए। बताया गया है कि पीएम इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को पहले से ही पता था कि संसद में उनके पास बहुमत नहीं है। इसलिए इमरान ने नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर के इस्तीफा देते ही प्रधानमंत्री कार्यालय छोड़ दिया और अपने आधिकारिक आवास से निकल गए।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद फैसल जावेद खान ने ट्वीट कर कहा, "मैंने प्रधानमंत्री इमरान खान को पीएम आवास से विदाई दी। वे गर्व से बाहर गए और झुके नहीं। उन्होंने पूरे देश को उठाया। मुझे एक पाकिस्तानी के तौर पर गर्व है कि हमें इमरान जैसा नेता मिला। पाकिस्तान खान- इमरान खान।"
कहां गए इमरान खान?
बताया गया है कि इमरान खान फिलहाल बिन गाला स्थित अपने आवास के लिए रवाना हो गए हैं। वे इससे पहले भी पीटीआई की कई बैठकों को अपने निजी आवास पर ही आयोजित कर चुके हैं। फिलहाल उनके साथ उनकी पत्नी बुशरा के भी जाने की बात सामने आई है।
आगे क्या है इमरान की पार्टी की योजना?
इस बीच संसद में अविश्वास प्रस्ताव के पास होने के बाद पीटीआई सांसद अली मोहम्मद खान ने कहा, "मुझे इस बात की खुशी है कि जिस आदमी के साथ में खड़ा हूं इमरान खान, उसने हुकूमत कुर्बान की है, लेकिन गुलामी नहीं कबूल की। शहादत कबूल की। आज का दिन जहां बहुत से चेहरों को खुशी दे कर जा रहा है, वहीं कई लोगों को गुस्सा छोड़कर जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "मैंने विपक्ष की हंसी और नारे बर्दाश्त किए हैं। आपके दिल में तमन्ना थी कि इमरान खान कि सियासत खत्म हो। इमरान खान एक बार फिर इस कुर्सी पर आएगा। दो तिहाई बहुमत से जीत कर आएगा। आवाम की ताकत से आएगा। थोड़ा इंतजार करें। आज भी पाकिस्तान में कुछ लोग हैं, जो कि साम्राज्य के सामने खड़े हैं, वे इसी तरह लड़ते रहेंगे। इमरान खान जिंदाबाद।"
पीटीआई नेता ने फिर लिया अमेरिका का नाम
अली खान ने आगे कहा, "एक सवाल तारीख उनके लिए भी छोड़ रही है कि जिस शख्स (इमरान खान) को विपक्षी नेता यहूदी और अमेरिकी कहते थे, आखिर वो कैसा नेता था, जिसे हटाने के लिए अमेरिका ने पूरा जोर लगा दिया। उनके (अमेरिका) लिए रूस सिर्फ बहाना था, इमरान खान असली निशाना था।" एक वो वक्त था, जब पाकिस्तान में अमेरिकी सैनिक आए और एक ये वक्त है कि जब वे अमेरिका में बैठकर ही साजिश बनाते रहे कि अगर इमरान की हुकूमत न गिरी तो पाकिस्तान के लिए चीजें कठिन हो जाएंगी।