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बलूचिस्तान में फिर मारे गए पाकिस्तानी सेना के सात जवान, भारत पर इमरान खान ने लगाया आरोप

Kunti Dhruw
27 Dec 2020 5:50 PM GMT
बलूचिस्तान में फिर मारे गए पाकिस्तानी सेना के सात जवान, भारत पर इमरान खान ने लगाया आरोप
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बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के लाख कोशिशों के बावजूद विद्रोहियों के हमले लगातार जारी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: इस्लामाबाद : बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के लाख कोशिशों के बावजूद विद्रोहियों के हमले लगातार जारी हैं। पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से परेशान वहां के लोग हथियारों के जरिए इमरान खान की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। शनिवार देर रात बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना के पोस्ट पर हमला कर सात जवानों की हत्या कर दी। जिसके बाद अपनी नाकामियों को छिपाने में जुटे इमरान खान से इस हमले के पीछे सीधे-सीधे भारत का हाथ बताया है।

पाकिस्तानी सेना ने जारी किया बयान
पाकिस्तानी सेना ने बयान जारी कर बताया कि बलूचिस्तान के हरनाई में स्थित फ्रंटियर कोर के शारिग पोस्ट पर हुए हमले में उसके सात जवान मारे गए हैं। जिसके बाद स्थानीय लोगों से बदला लेने पर आमादा पाकिस्तानी सेना ने पूरे क्षेत्र में व्यापक अभियान छेड़ दिया है। पाकिस्तानी सेना ऐसे अभियानों के जरिए यहां के आम लोगों के घरों में घुसकर उनसे न केवल अभद्रता करती है जबकि विरोध करने पर लोगों को आतंकी बताकर गोली मार देती है।
इमरान खान ने भारत के ऊपर फोड़ा नाकामी का ठीकरा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हमले के 10 घंटे बाद अपनी नाकामी को छिपाने के लिए हमले के पीछे भारत का हाथ बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा 'देर रात फ्रंटियर कॉप्स के पोस्ट पर आतंकवादी हमले में 7 जवानों की शहादत को सुनकर दुख हुआ। मेरी हार्दिक संवेदना और प्रार्थनाएँ उनके परिवारों के लिए हैं। हमारा राष्ट्र हमारे साहसी सैनिकों के साथ खड़ा है जो भारतीय समर्थित आतंकवादियों के हमलों का सामना करते हैं।'
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना पर लगातार हो रहे हैं हमले
कुछ महीने पहले ही बलूच विद्रोहियों ने पंजगुर जिले में सेना के एक काफिले को निशाना बनाया था। जिसमें तीन सैनिक मारे गए थे, जबकि सेना के एक कर्नल सहित 8 अन्य जख्मी हो गए थे। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान में सेना के काफिले पर मई के बाद यह तीसरा हमला था। ये विद्रोही अब अपने हमलों का विस्तार कराची सहित पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में भी कर रहे हैं।
चीन-पाक के सीपीईसी का विरोध करते हैं बलूच
बलूचिस्तान के लोगों ने हमेशा से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। कई बार बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के हथियारबंद विद्रोहियों के ऊपर पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का आरोप भी लगे हैं। 2018 में इस संगठन पर कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले के आरोप भी लगे थे। आरोप हैं कि पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए बगैर सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया।
स्पेशल फोर्स बनाने के बावजूद नहीं रुके हमले
60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लागत वाले इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने एक स्पेशल फोर्स का गठन किया है, जिसमें 13700 स्पेशल कमांडो शामिल हैं। इसके बावजूद इस परियोजना में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जून में कराची के स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी की माजिद ब्रिग्रेड ने ली थी।
रणनीतिक रूप से अहम है बलूचिस्तान
पाकिस्तान में बलूचिस्तान की रणनीतिक स्थिति है। पाक से सबसे बड़े प्रांत में शुमार बलूचिस्तान की सीमाएं अफगानिस्तान और ईरान से मिलती है। वहीं कराची भी इन लोगों की जद में है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा इस प्रांत से होकर गुजरता है। ग्वादर बंदरगाह पर भी बलूचों का भी नियंत्रण था जिसे पाकिस्तान ने अब चीन को सौंप दिया है।


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