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चीन (China) ने किस तरह दुनियाभर के गरीब मुल्कों को अपने जाल में फंसाया हुआ है
चीन (China) ने किस तरह दुनियाभर के गरीब मुल्कों को अपने जाल में फंसाया हुआ है. इस बात से पूरी दुनिया अवगत है. गरीब देशों में निवेश का जाल फेंक कर ड्रैगन वहां की अर्थव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है. इसके बाद धीरे-धीरे इन मुल्कों को कर्ज के बोझ के तले दबा देता है. चीन ने यही हाल अपने अजीज दोस्त पाकिस्तान (Pakistan) का किया है. बढ़ती महंगाई और डूबती अर्थव्यवस्था से परेशान इमरान खान (Imran Khan) की सरकार रेलवे के घाटे से जूझ रही है.
दरअसल, चीन से मिलने वाले पैसे के जरिए पाकिस्तान की ट्रेन पटरी पर दौड़ रही है. लेकिन इस बार चीन ने पाकिस्तान को दी जाने वाले 'खैरात' पर रोक लगा दी है. इस कारण हालात ऐसे हो गए हैं कि सरकार के पास रेल चलाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं. सरकार के खिलाफ रेलवे कर्मचारी पहले से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, अब ट्रेनों के नहीं चलने से रेलवे का घाटा आसमान छूने लगा है. इमरान के लिए मुसीबत इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि विपक्ष ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. विपक्ष लगातार देशभर में इमरान के खिलाफ रैलियां कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि इमरान पाकिस्तानी सेना की कठपुतली बने हुए हैं.
35-40 अरब का हर साल घाटा झेल रही रेलवे
देश के नए रेल मंत्री आजम खान स्वाती (Azam Khan Swati) ने बताया कि पिछले 50 सालों में रेलवे को 1.2 ट्रिलियन रुपये का घाटा हुआ है. उन्होंने कहा कि 90 फीसदी घाटा पिछले दो दशक में हुआ है. इस तरह उन्होंने रेलवे को हुए घाटे की जिम्मेदारी पूर्ववर्ती सरकारों पर मढ़ दी. मंत्री ने कहा, हर साल रेलवे को 35-40 अरब रुपये का घाटा हो रहा है.
हालात, इस कदर खराब हो गए हैं कि सरकार इस घाटे को कम करने की हालत में नहीं है. मंत्री ने कहा कि इमरान सरकार घाटे को कम करने का प्रयास कर रही है. लेकिन जब उनसे सवाल किया गया कि इसे कैसे हासिल किया जाएगा, तो वह चुप हो गए. पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने कहा है कि पैसे की कमी से जूझ रही सरकार के पास रेलवे को इस मुसीबत से निकालने का कोई उपाय नहीं है. सरकार विकल्पहीन हो गई है. इसके पास कोई कार्ययोजना भी नहीं है.
चीन से आने वाली फंडिंग रुकी, तो थमा रेल का पहिया
रेल मंत्री ने रेलवे की इस बदतर हालत के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है. मंत्री ने कहा है कि पिछली सरकरों ने रेलवे को सुधारने का कोई काम नहीं किया. भले ही मंत्री रेलवे को हुए घाटे के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हों, लेकिन सच्चाई उलट है. दरअसल, रेलवे को चीन के हाथों में बेचने की तैयारी की जा रही है. हालांकि, चीन भी घाटे की मार झेल रहे रेलवे में निवेश के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कितने दिनों तक रेलवे इस तरह चलेगी.
दरअसल, इमरान खान ने रेलवे को घाटे से बाहर करने के लिए चीन से 6.8 बिलियन डॉलर (लगभग 47 हजार करोड़ रुपये) का समझौता किया था. इसके तहत पेशावर से कराची तक मेन लाइन को फिर से खड़ा करना था. लेकिन चीनी कंपनियों ने अब इसमें दिलचस्पी दिखाना बंद कर दिया है. कंपनियों द्वारा फंडिंग पर रोक लगा दी है. नतीज ये हुआ है कि इमरान सरकार के पास रेल चलाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं.
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