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7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और ऊर्जा उस आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण चालक है.
रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत ने अपना रुख स्पष्ट किया है. केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अपनी जनता को ऊर्जा उपलब्ध कराना भारत सरकार का नैतिक कर्तव्य है. उसे जहां से तेल मिलेगा, वह खरीदना जारी रखेगी. पुरी ने इस पर भी जोर दिया कि किसी ने भारत को रूस से तेल खरीदने से मना नहीं किया है.
यूक्रेन-रूस युद्ध का दुनिया पर असर
बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध का दुनिया के ऊर्जा तंत्र पर दूरगामी प्रभाव हो रहा है. मांग तथा आपूर्ति में असंतुलन के कारण पुराने व्यापारिक संबंध भी खराब हो रहे हैं. इसके कारण दुनिया में तमाम उपभोक्तओं और व्यापार एवं उद्योग के लिए ऊर्जा की कीमत बढ़ गई हैं. आम जनता के साथ उद्योगों की जेबों और देशों की अर्थव्यवस्था पर पर भी इसका कुप्रभाव साफ दिखने लगा है.
तेल का बढ़ा आयात
गौरतलब है कि भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल का आयात अप्रैल से अभी तक 50 गुना से ज्यादा बढ़ गया है. भारत फिलहाल कुल कच्चा तेल आयात का 10 फीसदी हिस्सा रूस से मंगवा रहा है. यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से महज 0.2 फीसदी आयात करता था.
भारत नहीं करेगा दबाव का सामना
वहीं, इसको लेकर पुरी ने कहा कि भारत को जहां से तेल मिलेगा, वह खरीदेगा, क्योंकि इस तरह की चर्चा भारत की आबादी के लिए नहीं की जा सकती है. नई दिल्ली को रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में कटौती करने के लिए वॉशिंगटन के दबाव का सामना नहीं करना पड़ेगा.
बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक
बता दें कि पुरी गुरुवार को वॉशिंगटन डीसी में थे. उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष जेनिफर ग्रानहोम और बाइडेन प्रशासन के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं. पुरी ने कहा कि क्या मुझे किसी ने रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए कहा है? इसका जवाब स्पष्ट नहीं है. भारत ने मॉस्को और उसके पश्चिमी आलोचकों के बीच एक मध्य मार्ग बनाने की मांग की है और क्रेमलिन के साथ अपने आर्थिक संबंधों के लिए पश्चिमी दबाव का बड़े पैमाने पर विरोध किया है.
भारत में बढ़ रही है तेल की खपत
पुरी ने कहा कि भारत सबसे बड़े तेल आयातक में से एक है और भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में वृद्धि से मांग बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान में वैश्विक औसत का एक तिहाई है. देश की अर्थव्यवस्था के बढ़ने के साथ ईंधन की मांग बढ़ने की उम्मीद है. आने वाले दशक में मांग में वैश्विक वृद्धि का 25 प्रतिशत भारत से आएगा. भारत की अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और ऊर्जा उस आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण चालक है.
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