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8.2 फीसद का लगाया IMF ने अनुमान, इकनामिक ग्रोथ रेट में भारत पड़ेगा इन देशों पर भारी

Gulabi Jagat
19 April 2022 2:57 PM GMT
8.2 फीसद का लगाया IMF ने अनुमान, इकनामिक ग्रोथ रेट में भारत पड़ेगा इन देशों पर भारी
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इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ने अनुमान लगाया है कि वित्‍त वर्ष 2022-23 में भारत की ग्रोथ रेट 8.2 रह सकती है
वाशिंगटन (एएफपी)। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ने अनुमान लगाया है कि वित्‍त वर्ष 2022-23 में भारत की ग्रोथ रेट 8.2 रह सकती है। आईएमएफ की तरफ से लगाया गया ये अनुमान इसलिए बेहद खास है क्‍योंकि अमेरिका और चीन के बारे में उसका जो अनुमान है, भारत उससे कहीं आगे है। आईएमएफ की मानें तो कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध का असर अमेरिका की आर्थिक वृद्धि पर नकारात्‍मक असर डाल सकता है।
आईएमएफ के मुताबिक मौजूदा वित्‍त वर्ष में अमेरिका की ग्रोथ रेट 3.7 फीसद तक रहने का अनुमान है। वहीं, चीन के बारे में इंटरनेशनल मोनेटरी फंड का अनुमान है कि इन दोनों कारणों की वजह से चीन की ग्रोथ रेथ 4.4 फीसद तक हो सकती है। आईएमएफ ने यूरोजोन को लेकर जो अनुमान लगाया है, उसके मुताबिक इसकी ग्रोथ 2.8 से 3.9 फीसद के बीच रहने की उम्‍मीद है।
आईएमएफ की तरफ से लगाए गए अनुमान में एक चीज काफी दिलचस्‍प दिखाई दे रही है। वो ये है कि आर्थिक तेजी की राह में चीन अमेरिका को पछाड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि दोनों ही देशों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दोनों ही कोरोना महामारी को लेकर काफी परेशान हैं। चीन की ही यदि बात करें तो वहां पर लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं। चीन के फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले शंघाई में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसकी वजह से शंघाई अब भी लाकडाउन की चपेट में है।
वहीं शंघाई में लोग अब लाकडान और कोरोना प्रतिबंधों से ऊब चुके हैं और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। वहीं आईएमएफ की तरफ से लगाया गया ताजा अनुमान इस लिए भी बेहद खास हो जाता है क्‍योंकि इसी कोरोना काल के दौरान चीन की आर्थिक वृद्धि का पहिया कई देशों के मुकाबले अधिक तेजी से घूमा है। कई देशों को कोरोना रोधी दवाओं और टीके के विकास के लिए चीन की तरफ से ही कच्‍चा माल उपलब्‍ध करवाया गया है। इसके अलावा भी कई दूसरे कारणों की वजह से चीन की ग्रोथ रेट अमेरिका से अधिक हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ यदि अमेरिका की बात की जाए तो वहां पर कोरोना से विश्‍व में सबसे अधिक मौत हुई हैं। इसके अलावा कोरोना काल में अमेरिका में लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है।
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