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IMF का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा श्रीलंका, आर्थिक मदद देने के लिए करेगा समीक्षा

Neha Dani
20 Jun 2022 12:57 PM GMT
IMF का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा श्रीलंका, आर्थिक मदद देने के लिए करेगा समीक्षा
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वहीं, पेट्रोल की 3400 मीट्रिक टन मांग के विपरीत केवल 2600 मीट्रिक टन ही पूरी की जा रही है।

श्रीलंका की सरकार ने देश की आर्थिक स्थितियों को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद की गुहार लगाई थी। श्रीलंका इस समय आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश में गंभीर संकट की वजह से आम जनता काफी परेशान है। IMF ने आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका को संकट से उबरने के लिए किए गए प्रयासों में मदद देने का आश्वासन दिया था।

जिसके बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का प्रतिनिधिमंडल बेलआउट कार्यक्रम पर चर्चा के लिए सोमवार को कोलंबो पहुंच गया है। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी से ईधन आयात न कर पाने से इस समय भयंकर ईधन संकट का सामना कर रहा है।
अपने आर्थिक कुप्रबंधन और गलत नीतियों के चलते इस समय श्रीलंका इतिहास के सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है। इसमें कोराना महामारी का भी हाथ रहा, जिसने उसके पर्यटन कारोबार को नष्ट कर दिया और उसे विदेशी मुद्रा की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने बढ़ती महंगाई के बीच अनाज, दवाएं, ईधन व अन्य जरूरी चीजों की कमी को लेकर चेतावनी दी है। आइएमएफ ने रविवार को कहा कि उसकी टीम श्रीलंका में 30 जून तक रहेगी और 17वें रेस्क्यू प्रोग्राम को लेकर चर्चा कर स्थिति का आकलन करेगी।
वहीं, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने उम्मीद जताई है कि IMF प्रोग्राम से विश्व बैंक, एशिया विकास बैंक आदि जैसे वित्तीय स्रोतों से उसका जुड़ाव बढ़ेगा और उसकी आर्थिक समस्याओं का निदान जल्द होगा। बता दें आर्थिक संकट से उबरने के लिए श्रीलंका को कम से कम चार अरब डॉलर की जरूरत है। वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए श्रीलंका, चीन और जापान से भी बात कर रहे हैं।
आर्थिक तंगी के कारण कच्चा तेल नहीं खरीद पा रहा श्रीलंका
श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री विजेसेकरा ने कहा सरकार आर्थिक तंगी के कारण कच्चे तेल की खरीद के लिए दूसरी तरह से भी प्रबंध करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन यह बहुत महंगा पड़ रहा था। उन्होंने जानकारी दी कि देश में डीजल की 5400 मीट्रिक टन प्रतिदिन मांग के विपरीत केवल 3000 मीट्रिक टन ही पूरी की जा पा रही है। वहीं, पेट्रोल की 3400 मीट्रिक टन मांग के विपरीत केवल 2600 मीट्रिक टन ही पूरी की जा रही है।

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