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IMF चीफ ने जताई आशंका, बोली- यूक्रेन संकट से पश्चिम एशिया में बन सकते हैं अशांति के हालात, वैश्विक अर्थव्यवस्था में तनाव वजह

Kunti Dhruw
27 March 2022 2:31 PM GMT
IMF चीफ ने जताई आशंका, बोली- यूक्रेन संकट से पश्चिम एशिया में बन सकते हैं अशांति के हालात, वैश्विक अर्थव्यवस्था में तनाव वजह
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने आशंका जताई है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने आशंका जताई है, कि यूक्रेन संकट की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) में आए तनाव की वजह से पश्चिम एशिया समेत अन्य क्षेत्रों में अशांति के हालात बन सकते हैं. कतर के दोहा में रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि यूक्रेन (Ukraine) में सैन्य आक्रमण के कारण रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों ने दुनिया के सबसे गरीब लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि इस संकट के कारण गरीब खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतों और रोजगार की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. जॉर्जीवा ने आशंका जताई कि वर्तमान हालात 2011 की तरह बन सकते हैं, जब रोटी की आसमान छूती कीमतों की वजह से पश्चिम एशिया में सरकार विरोधी प्रदर्शनों शुरू हो गए थे.

अगले वित्त वर्ष में कंपनियां लेंगी नया कर्ज
इसके अलावा अगले वित्त वर्ष में 1,400 से ज्यादा बड़ी कंपनियों को पांच लाख करोड़ रुपये का नया कर्ज (रिफाइनेंस) जुटाना होगा. हालांकि, कंपनियों के मजबूत बही-खातों और स्थिर आमदनी की वजह से वैश्विक संकट के बावजूद इसमें कोई मुश्किल नहीं आएगी. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से जो वैश्विक संकट पैदा हुआ है, उसमें मुद्रास्फीति बढ़ने और उसके परिणामस्वरूप ब्याज दरों में वृद्धि होने की आशंका है. रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का विश्लेषण कहता है कि टॉप 1,423 गैर वित्तीय और भारी कर्ज के बोझ से दबी कंपनियों को अगले वित्त वर्ष में पांच लाख करोड़ रुपये का पुनर्वित्तपोषण जुटाना होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, सख्त मौद्रिक नीति, जिंसों की अस्थिर कीमतें और भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ने के बावजूद कंपनी पुनर्वित्त जोखिम का प्रबंधन करने में समक्ष रहेंगी.
इंडिया रेटिंग्स की दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन क्राइसिस भारत की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है. इस क्राइसिस के कारण भारत का इंपोर्टबिल बढ़ रहा है जिससे ट्रेड डेफिसिट बढ़ रहा है. दरअसल भारत जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल और जरूरत का 50 फीसदी नैचुरल गैस आयात करता है. अगर इन दोनों की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा. रूस का यूक्रेन पर आक्रमण के बाद इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल और गैस दोनों महंगी हो गई है.
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