जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वैश्विक कोविड-19 महामारी को 9 माह पूरे हो चुके हैं। इस दौरान इसका असर पूरी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों पर भी साफ देखा जा सकता है। पहले भी विश्व की आर्थिक प्रगति को लेकर दुनिया की कई बड़ी संस्थाएं इस बारे में अपनी रिपोर्ट दे चुकी हैं। अब अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि कोविड-19 से गारमेंट सेंक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खासतौर पर निर्यात बाजारों में कंज्यूमर डिमांड में भारी गिरावट देखने को मिली है। कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन और फिर कच्चे माल के आयात में आई कठिनाइयों के कारण भी आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं इस महामारी की वजह से बड़ी संख्या में इस क्षेत्र से जुड़े लोग बेरोजगार हुए हैं और उद्योग जगत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
यूएन श्रम एजेंसी ने अपनी जो रिपोर्ट शीर्षक से जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के गारमेंट सेक्टर में वर्ष 2019 में साढ़े छह करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार हासिल था। ये दुनिया भर में गारमेंट कामगारों की कुल संख्या का 75 फीसद है। इस शोध में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग में 10 प्रमुख देशों की सप्लाई चेन पर कोविड-19 संकट के असर की समीक्षा की गई है। जिन देशों में ये समीक्षा की गई है उनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, कम्बोडिया, चीन, इंडोनेशिया, म्यांमार, वियतनाम का नाम भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एशिया-प्रशांत के रीजनल डायरेक्टर चिहोको असादा मियाकावा ने रिपोर्ट पर कहा कि ये कोविड-19 से गारमेंट बिजनेस के हर स्तर पर हुए व्यापक असर को रेखांकित करती है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबया राजपक्षे की फाइल फोटो। स्रोत- दैनिक जागरण।
मियाकावा ने कहा कि ये बेहद जरूरी है कि इन देशों की सरकारें, कामगार, नियोक्ता और उद्योग जगत के अन्य पक्षकार साथ मिलकर इन अभूतपूर्व हालात का सामना करें और उद्योग के लिये एक ज्यादा मानवता-आधारित भविष्य को आकार दें। रिपोर्ट में बताया गया है कि एशिया में गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग करने वाले देशों से खरीदारी करने वाले देशों द्वारा किये जाने वाले आयात में वर्ष 2020 की पहली छमाही में 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। फरवरी 2020 के शुरु से वियतनाम, इंडोनेशिया, भारत और बांग्लादेश से होने वाले निर्यात में कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2019 की उसी अवधि की तुलना में जून 2020 तक भारत और बांग्लादेश से होने वाले निर्यात में क्रमश: 41 और 32 फीसदी की गिरावट आई। रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वजह उपभोक्ता मांग में जबरदस्त गिरावट, लॉकडाउन के अलावा दूसरी लगाई गई पाबंदियां, कच्चे माल की आपूर्ति में आई रुकावट शामिल है।
सितंबर 2020 तक परिधान आपूर्ति श्रृंखलाओं में कुल रोजगारों की लगभग आधी संख्या उन उपभोक्ताओं की मांग पर निर्भर है जो ऐसे देशों में रह रहे हैं जहां बेहद सख्त पाबंदियां और बिक्री लुढ़क गई है। आईएलओ के रीजनल ऑफिस के लेबर इकनॉमिस्ट फिगेलआन के मुताबिक क्षेत्र में एक आम कामगार को कम से कम दो से चार सप्ताह तक काम नहीं मिल सका है। इतना ही नहीं लॉकडाउन हटने और गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खुलने के बाद भी पांच में से महज तीन कर्मी ही काम पर लौट पाए। हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोविड-19 से बचाव के लिए विभिन्न देशों की सरकारों ने सक्रिय प्रयास किए, लेकिन इसकी वजह से पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में हजारों की संख्या में गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट अस्थाई या अनिश्चितकाल के लिये बंद हो गईं।
इसकी वजह से कामगारों की आजीविका के साधन खत्म हो गए हैं। इनमें काम करने वालों को रोजगार से हटाया जा रहा है। जिन यूनिटों में काम हो भी रहा है तो वहां पर कम लोगों से ही काम करवाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जो कामगार वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में भी काम कर रहे हैं उनकी आय में गिरावट और उसके भुगतान में देरी जैसी समस्याएँ भी अक्सर देखने को मिल रही है। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि परिधान उद्योग में अधिकांश कामगार महिलाएँ हैं और वे किस तरह कोविड-19 से गैरआनुपातिक रूप से प्रभावित हुई हैं।