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बर्फ के पिघलना दुनिया के लिए बड़ा संकट

Teja
16 Feb 2023 12:19 PM GMT
बर्फ के पिघलना दुनिया के लिए बड़ा संकट
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नई दिल्ली। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते वैश्विक तापमान के साथ बर्फ के पिघलने और इससे चढ़ते समुद्र का स्तर दुनिया के लिए बड़ा संकट है। इनमें भारत, बांग्लादेश, चीन और नीदरलैंड्स जैसे देश के लोग शामिल हैं।इसका असर घनी आबादी वाले तटीय शहरों में रहने वाले 90 करोड़ों लोगों की जिंदगी पर पड़ेगा। धरती पर रह रहे हर 10 में से एक शख्स बड़ी मुश्किल में है। रिपोर्ट कहती है कि बर्फ के पिघलने और समुद्र के जलस्तर में बढ़ावा- दोनों के ही पीछे इंसानी गतिविधियां हैं। इसमें अनुमान जताया गया है कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य तक ही सीमित रहती है तो समुद्र का जलस्तर 2000 वर्षों में 2 से 3 मीटर बढ़ जाएगा। अगर इस वॉर्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाता है तो भी समुद्र 6 मीटर तक उठ जाएगा और अगर कहीं ग्लोबल वॉर्मिंग 5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रही तो 2000 साल में समुद्र 19 से 22 मीटर तक उठ जाएगा। समुद्र के जलस्तर के बढ़ने से तटीय इलाकों के डूबने ही नहीं, समुद्र की लवणता और उसके जलीय जीवन पर बड़ा विकराल प्रभाव पड़ेगा। यह दुनिया की अर्थव्यवस्था, आजीविका, सेहत के जोखिम को बढ़ाएगा।

साथ ही, फूड सिक्युरिटी पर भी असर डालेगा। मंडरा रही मुसीबतों पर एक नजर डाले तो समुद्र के जलस्तर के बढ़ने से तूफानों की तेजी बढ़ेगी। समंदर में उठने वाले ज्वार-भाटा पर भी असर पड़ेगा। दुनियाभर के समुद्र पिछले सदी में अनुमान से कहीं तेजी से गर्म हुए हैं। साल 1971 से 2018 के बीच समुद्र के बढ़े जलस्तर में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बढ़ते तापमान की रही है। जलस्तर में इजाफे में बर्फीली परत के पिघलने का योगदान 20प्रतिशत रहा है। साल 1992-99 और 2010-2019 के बीच बर्फ की परत का पिघलना चार गुना बढ़ा है। 21वीं सदी में भी समुद्र का जलस्तर बढ़ना जारी रहेगा। इसमें इजाफा दुनियाभर में एकसमान नहीं है। अलग-अलग जगहों पर समुद्र का जलस्तर अलग-अलग तेजी से उठा है।

रिपोर्ट बताती है कि ग्लोबल वॉर्मिंग किसी भी सीमा में रहे, मुंबई (भारत), काहिरा (इजिप्ट), बैंकॉक (थाइलैंड), ढाका (बांग्लादेश), जकार्ता (इंडोनेशिया), शंघाई (चीन), कोपेनहेगन (डेनमार्क), लंदन (ब्रिटेन), लॉस ऐंजिलिस और न्यू यॉर्क (अमेरिका), ब्यूनस आयरिस (अर्जेंटीना), सैंटियागो (चिली) सहित हर महाद्वीप के बडे शहरों पर समुद्र के उठने के गंभीर प्रभाव पड़ेंगे।अगर ग्लोबल वॉर्मिंग 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस के बीच भी रहती है तो भी अल्पविकसित और विकासशील देशों में इससे फूड सिक्योरिटी खतरे में पड़ जाएगी। समुद्र का खारा पानी शहरी इलाकों में घुसेगा तो खेती, मछली पालन बर्बाद होगा। टूरिजम जैसे उद्योगों में नौकरियां खत्म होंगी।

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