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मानवाधिकार के साझीदार देश के 403 जिलों में से 394 जिलों में सहायता पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं।
अफगानिस्तान आतंक की गिरफ्त में ही नहीं अब भुखमरी के मुहाने पर भी है। तकरीबन 3.60 करोड़ की आबादी दाने-दाने की मोहताज होने वाली है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अफसर ने चेतावनी देते हुए कहा कि इसी महीने के अंत तक का ही खाद्यान्न देश में बचा है। पहले से ही आफत के मारे अफगानिस्तान के लोगों को भोजन मुहैया कराने के लिए 20 करोड़ डालर (करीब 1461 करोड़ रुपये) रकम की तत्काल आवश्यकता है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन लोगों के भोजन की व्यवस्था करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की अपील की है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेष उप प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में मानवाधिकार संयोजक रामिज अलकबारोव ने गुरुवार को कहा कि इस युद्धग्रस्त देश में कम से कम एक-तिहाई जनता यह नहीं बता सकती कि उन्हें हर दिन भोजन मिलेगा या नहीं। यहां यही हालत है। उन्होंने काबुल में एक वचरु्रअल प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान में आया अनाज सितंबर के अंत तक ही है। हमारा पूरा स्टाक खत्म हो जाएगा। हम यहां के लोगों को जरूरी खाद्य सामग्री नहीं दे पाएंगे क्योंकि हमारा पूरा भोजन भंडार ही खत्म हो चुका है। भोजन की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए हमें बीस करोड़ डालर की आवश्यकता है। ताकि सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सके।
अफगानिस्तान के पीड़ित बच्चों के लिए सबसे अधिक चिंता जताई गई है। देश के आधे से ज्यादा बच्चे पांच साल से कम की उम्र के हैं जो अत्यधिक कुपोषित हैं। अब इन बच्चों को खाना मिलेगा ही नहीं। उन्होंने कहा कि खाद्य असुरक्षा अब पूरे देश में घर कर चुकी है। ऐसा तब है जब छह लाख से ज्यादा अफगानी लोग पहले ही बेघर हो चुके हैं।
अभी पिछले ही दिनों पाकिस्तान की सीमा पार करके ट्रकों के जरिये करीब 600 मीट्रिक टन खाद्यान्न अफगानिस्तान भेजा गया था। काबुल एयरपोर्ट पर मौजूद करीब 800 बच्चों को भी खाने-पीने की चीजें मुहैया कराई जा रही हैं। मानवाधिकार के साझीदार देश के 403 जिलों में से 394 जिलों में सहायता पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं।
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