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अफगानिस्तान का दौरा नहीं कर पाई और किसी अफगान अधिकारी ने इसकी जानकारी नहीं दी थी.
भले ही तालिबान लगातार खंडन करता रहा हो लेकिन आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का अफगानिस्तान में दबदबा कायम है. संयुक्त राष्ट्र की मॉनिटरिंग टीम एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. मॉनिटरिंग टीम ने यह रिपोर्ट यूएनएससी सदस्य देशों को सब्मिट की है. इसके मुताबिक तालिबान 8 आतंकी शिविरों में से 3 को कंट्रोल कर रहा है. जबकि अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद नांगरहार प्रांत में आतंकी गतिविधियों में शामिल है. जबकि लश्कर-ए-तैयबा कुनार और नांगरहार प्रांत में 3 शिविर चला रहा है.
मॉनिटरिंग ग्रुप ने पेश की है रिपोर्ट
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान के हाथों में शासन आने के बाद मॉनिटरिंग ग्रुप की यह पहली रिपोर्ट है. सदस्य देशों के साथ सलाह-मशविरा के बाद ही नतीजे पर पहुंचा गया है. तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता फिलहाल भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति कर रहे हैं. दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख सुहैल शाहीन ने पिछले महीने बताया था कि काबुल अफगानिस्तान की धरती को किसी पड़ोसी या देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा.
प्रतिबंधित नेताओं का लिया गया नाम
हालांकि भारत ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान आधारित समूहों और उनके तालिबान के साथ संबंधों पर चिंता जाहिर की थी. मॉनिटरिंग ग्रुप की ताजा रिपोर्ट में अफगानिस्तान में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियों पर फिर से बात की गई है. इन संगठनों के संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित नेताओं का भी नाम लिया गया है.
तालिबान के लड़ाकों को लश्कर ने दी ट्रेनिंग
अपनी पिछली रिपोर्ट्स में मॉनिटरिंग ग्रुप्स ने बताया था कि कैसे लश्कर-ए-तैयबा ने तालिबान के लड़ाकों को वित्तीय मदद और ट्रेनिंग दी है. ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2022 में नांगरहार प्रांत के हस्का मिना जिले के लश्कर ट्रेनिंग कैंप में तालिबान का प्रतिनिधिमंडल गया था. लश्कर के नेता मावलावी असदुल्लाह ने तालिबान के डिप्टी आतंरिक मंत्री नूल जलील से अक्टूबर 2021 में मुलाकात की थी.
एनएसए अजीत डोभाल ने भी अफगानिस्तान पर दुशांबे सुरक्षा वार्ता में सीमा पार से आतंकवाद का मसला उठाया था. मॉनिटरिंग ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया कि टीम ने रिव्यू अवधि में अफगानिस्तान का दौरा नहीं कर पाई और किसी अफगान अधिकारी ने इसकी जानकारी नहीं दी थी.
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