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रूसी सेना के हमले से यूक्रेन में सैकड़ों अस्पताल ध्वस्त, दवाओं की होने लगी भारी किल्लत, इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर रहे सैनिक

Renuka Sahu
6 May 2022 5:00 AM GMT
Hundreds of hospitals collapsed in Ukraine due to the attack of the Russian army, there was a severe shortage of medicines, soldiers dying in agony due to lack of treatment
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फाइल फोटो 

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने गुरुवार रात राष्ट्र के नाम वीडियो संबोधन जारी किया।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने गुरुवार रात राष्ट्र के नाम वीडियो संबोधन जारी किया। इसमें उन्होंने देश के उन हिस्सों में दवाओं और चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी का जिक्र किया, जो रूस के नियंत्रण में हैं। जेलेंस्की ने कहा कि उन इलाकों में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए इलाज की सुविधा लगभग पूरी तरह से नदारद है, जबकि मधुमेह के मरीजों के लिए 'इंसुलिन' या तो उपलब्ध नहीं है या फिर उसे हासिल करना बेहद मुश्किल है। उन्होंने 'एंटीबायोटिक्स' की आपूर्ति में भी भारी कमी का दावा किया।

जेलेंस्की ने बताया कि युद्ध के दौरान रूसी सेना यूक्रेन पर अब तक 2,014 मिसाइलें दाग चुकी है, जबकि यूक्रेनी हवाई क्षेत्र में रूसी लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने की 2,682 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने दावा किया कि देश में अस्पतालों और अन्य चिकित्सा केन्द्रों सहित लगभग 400 ढांचे या तो नष्ट हो चुके हैं या फिर उन्हें भारी नुकसान पहुंचा है।
रूस पर दबाव बनाने की अपील
वहीं, यूक्रेन के एक अधिकारी ने वैश्विक समुदाय से रूस पर दबाव बनाने का आग्रह किया है ताकि मारियुपोल शहर से घायल नागरिकों और सैनिकों की निकासी हो सके। मारियुपोल के अजोवस्टाल इस्पात संयंत्र में गुरुवार को भारी गोलाबारी हुई। रूसी सैनिकों ने शहर में प्रतिरोध के आखिरी ठिकाने को अपने कब्जे में लेने का भरपूर प्रयास किया और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह पर पूरा नियंत्रण बना लिया।
इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर रहे सैनिक
इस्पात संयंत्र परिसर में बंकर में यूक्रेन के सैकड़ों सैनिक छिपे हुए हैं, जिनमें से कई घायल हैं। सैनिकों के साथ कुछ आम नागरिक भी हैं। यूक्रेन की अजोव रेजीमेंट के डिप्टी कमांडर कैप्टन स्वियातोस्लाव पालमार ने गुरुवार को इस्पात संयंत्र के बंकर से जारी वीडियो बयान में कहा कि 'घायल सैनिक उचित इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर रहे हैं।'
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