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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया के 100 देशों ने 2030 तक मीथेन का उत्सर्जन 30 प्रतिशत कम करने का वचन लिया है. भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया और रूस इनमें शामिल नहीं हैं.ग्लासगो में जारी जलवायु सम्मेलन में मंगलवार को दुनिया के सौ देशों ने कसम उठाई कि मीथेन गैस का उत्सर्जन 2030 तक एक तिहाई कर देंगे. इससे पृथ्वी का तापमान कम रखने में मदद मिलेगी. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े उत्सर्जक तो कसम उठाने वालों में शामिल ही नहीं हैं. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा, "मीथेन उन गैसों में से है जिनका उत्सर्जन हम सबसे जल्दी घटा सकते हैं. इससे जलवायु परिवर्तन तुरंत धीमा होगा." तस्वीरों मेंः ग्लासगो से उम्मीदें मीथेन भी एक ग्रीन हाउस गैस है जो कार्बन डाईऑक्साइड से 80 गुना ज्यादा विकिरण सोखती है और औद्योगिक क्रांति से अब तक 30 प्रतिशत गर्मी बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है. कार्बन डाईऑक्साडइ से यह इस लिहाज से अलग है कि वातावरण में हमेशा नहीं रहती. ऐतिहासिक क्षण सितंबर में अमेरिका और यूरोपीय संघ ने मीथेन उत्सर्जन कम करने के समझौते का एक प्रस्ताव तैयार किया था. तब से इस समझौते पर कनाडा, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, जापान, कोलंबिया और अर्जेंटीना समेत सौ देश दस्तखत कर चुके हैं.