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तापमान का मस्तिष्क के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. तापमान बढ़ने से संसाधनों के अनुसार मनुष्य या अन्य स्तनधारी भी छोटे होते जाएंगे.
जलवायु परिवर्तन के कारण धरती के ग्रीन हाउस गैसों पर असर हो रहा है. इससे धरती का तापमान भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. इसका असर सिर्फ बर्फ पिघलने और समुद्र का जल स्तर बढ़ने से संबंधित नहीं है, बल्कि जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ेगा, वैसे-वैसे इंसानों का आकार भी छोटा होते जाएगा.
एडिनबरा यूनिवर्सिटी में इस संबंध में रिसर्च हुई. इसमें बताया गया कि गर्म जलवायु के हिसाब से खुद को ढालने के लिए इंसानों की हाइट कम होती जाएगी. इंसान की औसत ऊंचाई करीब 3.5 फीट तक होने की संभावना है.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञान के प्रोफेसर स्टीव ब्रूसेट का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति में जीवित रहने के लिए मानव का आकार घट जाएगा. उन्होंने घोड़ों की प्रजातियों का उदाहरण देते हुए 50 करोड़ साल पहले पैलियोसीन युग के मुकाबले वर्तमान युग की तुलना की है. अपनी बुक 'द राइज एंड रीन ऑफ द मैमल्स' में ब्रुसेट ने कहा है कि गर्म क्षेत्रों में स्तनधारी ठंडे क्षेत्रों में स्तनधारियों की तुलना में छोटे होते हैं, क्योंकि छोटा आकार जीवों को ठंडा रखने में मदद कर सकता है.
ब्रुसेट ने होमो फ्लोरेसेंसिस का उदाहरण देते हुए कहा कि इंडोनेशियाई द्वीप फ्लोर्स में लगभग 50 हजार से एक लाख साल पहले इंसानों की हाइट महज 3.5 फीट ही थी. हमारी प्रजाति अन्य जानवरों के लिए हानिकारक रही है. उन्होंने कहा कि अगर आप एक गैंडे, हाथी, शेर, प्लैटिपस होते, तो शायद आप इंसानों को पसंद नहीं करते.
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2021 के एक अध्ययन में सामने आया कि तापमान और शरीर के आकार के बीच संबंध होता है. हालांकि, तापमान का मस्तिष्क के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. तापमान बढ़ने से संसाधनों के अनुसार मनुष्य या अन्य स्तनधारी भी छोटे होते जाएंगे.
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