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आर्थिक पतन का मतलब है कि बहुत से लोग भोजन का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की वापसी के बाद से ही युद्धग्रस्त मुल्क की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. वहीं, तालिबान प्रधानमंत्री (Taliban Prime Minister) ने शनिवार को एक सार्वजनिक संबोधन में तालिबान के शासन (Taliban Government) का बचाव करते हुए कहा कि समूह बिगड़ते हुए आर्थिक संकट के लिए दोषी नहीं है. उन्होंने कहा कि तालिबान पिछली सरकार के भ्रष्टाचार को सुधारने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने अधिक समावेशी कैबिनेट के गठन के लिए बनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव को भी खारिज कर दिया.
तीन महीने पहले तालिबान द्वारा काबुल (Kabul) पर कब्जा जमाने और देश पर अपना शासन सुरक्षित करने के बाद राज्य द्वारा संचालित मीडिया पर चलाए गए आधे घंटे का ऑडियो मोहम्मद हसन अखुंद (Mohammed Hassan Akhund) द्वारा इस तरह का पहला सार्वजनिक संबोधन था. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता बंद हो गई और विदेशों में रखी गई अरबों डॉलर की अफगान संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया. इस वजह से पहले से चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क हो गया. तालिबान लगातार फ्रीज संपत्तियों को रिलीज करने की गुजारिश कर रहा है.
पिछली सरकार ने दुनिया की सबसे कमजोर व्यवस्था चलाई
अखुंद ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी और वित्तीय मंदी की समस्या पिछली अमेरिकी समर्थित सरकार के तहत शुरू हो गई थी. उन्होंने ये कहते हुए कहा कि अफगानों को इस दावे पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि तालिबान को दोष देना है. उन्होंने कहा, 'देश सतर्क रहे. पिछली सरकार के लोग बचे हुए हैं और वे चिंता पैदा कर रहे हैं. इसके अलावा लोगों को अपनी सरकार के खिलाफ भ्रम पैदा कर रहे हैं.' उन्होंने व्यापक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा कि पिछली सरकार ने दुनिया की सबसे कमजोर व्यवस्था चलाई थी. इसके उलट, तालिबान भ्रष्टाचार को खत्म कर रहा है और देशभर में सुरक्षा लेकर आया है.
अफगानिस्तान में मानवीय संकट का खतरा
तालिबान प्रधानमंत्री ने कहा, हम लोगों की समस्याओं का यथासंभव समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं. हम हर विभाग में ओवरटाइम काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, समूह ने आर्थिक संकट को हल करने और सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने की कोशिश करने के लिए समितियों का गठन किया है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के अधिकारियों ने एक मानवीय संकट की चेतावनी दी है. अफगानिस्तान में लाखों अफगान गरीबी में डूब रहे हैं और भूखमरी का सामना कर रहे हैं. अफगानिस्तान दशकों में अपने सबसे खराब अकालों में से एक की चपेट में है और आर्थिक पतन का मतलब है कि बहुत से लोग भोजन का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.
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