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ह्यूमन राइट्स वॉच का मानना- पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं के हालात और हुए बदतर

Gulabi
1 Nov 2020 3:36 PM GMT
ह्यूमन राइट्स वॉच का मानना- पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं के हालात और  हुए बदतर
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पाकिस्तान में जबरिया धर्मांतरण को लेकर बवाल मचा हुआ है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान में जबरिया धर्मांतरण (forced conversation in Pakistan) को लेकर बवाल मचा हुआ है. इस बार मामला लगभग 13 साल की एक लड़की को अगवा कर उसे ईसाई से मुस्लिम बनाने और जबरन निकाह का है. अल्पसंख्यक समाज की लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण कर उनसे फर्जी निकाह करने वालों का मामला पहले भी उछल चुका है लेकिन इसपर पाकिस्तान ने कभी कोई ठोस कदम नहीं लिया. जानिए, हर साल पाकिस्तान में ऐसे कितने धर्मांतरण होते हैं.

क्या हुआ इस बार

सबसे पहले तो ताजा मामला देखते हैं, जिसपर पाक एक बार फिर से अपने नापाक इरादे जाहिर कर चुका है. मामला 13 साल की बच्ची को ईसाई से मुस्लिम बना उसका निकाह 44 साल के अपहरणकर्ता से करा दिया गया. इस मामले में जब लड़की के परिवार ने इंसाफ मांगा तो उल्टे कराची हाईकोर्ट ने अपहरणकर्ता का ही साथ दिया. हाईकोर्ट की दलील थी कि बच्ची ने अपनी मर्जी से इस्लाम चुना और अपने निकाह को जायज मान रही है. बता दें कि कोर्ट ने ये फैसला तब दिया जब पाकिस्तान में कानूनन 13 साल की उम्र में शादी नहीं हो

अल्पसंख्यकों की आवाज नहीं

कट्टरपंथी देश पाकिस्तान में पहले से ही ऐसे मामले आते रहे हैं. ये तब है जब वहां के अल्पसंख्यकों की कोई आवाज नहीं. बता दें कि वहां बहुत कम घटनाएं सुर्खियों का रूप ले पाती हैं, क्योंकि ज्यादातर को सरकार और उसका सिस्टम ही अपने स्तर पर दबा देता है. मानवाधिकार संस्थाएं भी दूर से गुहार ही लगा पाती हैं. यही वजह है कि पाक से भागकर हर साल काफी हिंदू परिवार भारत में शरण लेते और नागरिकता मांगते हैं.


पाकिस्तान में कितने अल्पसंख्यक

पाकिस्तान सरकार के नेशनल डेटा बेस एंड रजिस्ट्रेशन अथारिटी में दर्ज आंकड़ों के अनुसार वहां अल्पसंख्यकों की आबादी (लगभग में) ऐसी है कि सबसे बड़ी माइनोरिटी यानी हिंदू कुल आबादी का लगभग 1.2 प्रतिशत हैं, इसके बाद ईसाई समुदाय का नंबर आता है. इनके अलावा अहमदी, बहाई, सिख, पारसी, बौद्ध और दूसरे धर्म भी हैं.


कम हो रहे अल्पसंख्यक

साल 2011 में इश्तियाक अहमद की एक किताब आई, जिसमें पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों की आबादी को 10 फीसदी बताया गया है. इस किताब के अनुसार पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई और अहमदी खुद के 40 लाख होने का दावा करते हैं. लेकिन अब बहुत तेजी से हिन्दू, बौद्ध और सिखों में कमी आ रही है.

आजादी से पहले क्या हाल था

आजादी से पहले भी यहां सर्वे हुआ था. तब जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान वाले भूभाग पर बंटवारे से पहले 5.9 करोड़ गैर मुस्लिम रहते थे. बंटवारे के दौरान बड़े पैमाने पर हिंदुओं और सिखों का पलायन भारत की ओर हुआ. हिंदुओं की आबादी तब वहां 24 फीसदी के आसपास थी. अब हालत एकदम बदल गए हैं. अल्पसंख्यकों पर हिंसा आम है, जो कभी-कभार ही सामने आती है.


हिंसा हर स्तर पर होती है

संपत्ति हड़पने से लेकर घर की महिलाओं के साथ बदसलूकी तक. हिंदू महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में खासी बढोतरी हुई है. अपहरण के बाद उनका धर्म बदलकर उनकी शादी मुस्लिम युवकों से कर दी जाती है. पाकिस्तान के ही एक अखबार डेली टाइम्स ने पिछले दिनों लिखा था, पाकिस्तान में अक्सर हिंदू औरतों का बलात्कार और शोषण किया जाता है. इसके बाद उनकी शादी जबरदस्ती बलात्कारियों से कर दी जाती है. अगर वे पहले से शादीशुदा हों तो भी उनकी दूसरी शादी कर दी जाती है. उनका धर्म परिवर्तन कर दिया जाता है.

जबरिया धर्म परिवर्तन

साल 2010 में पाकिस्तान में मानवाधिकार आयोग के एक अधिकारी ने नाम छिपाते हुए कहा था कि हर महीने तकरीबन 20 से 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण करने के बाद जबरिया धर्म बदलकर उनकी शादी कराई जाती है.

जन स्वास्थय और लिंग आधारित हिंसा पर शेफील्ड यूनिवर्सिटी (The University of Sheffield) में रिसर्च करने वाली सादिक भंभ्रो ने पाया कि 2012 से 2017 तक 286 लड़कियों का जबरदस्ती धर्म बदला गया. ये वो संख्या है, जो पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर काउंट की गई. ये तादाद और बड़ी भी हो सकती है.

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