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अमेरिका में मानव अधिकारों की स्थिति खराब, होता है अश्वेत नागरिकों के साथ नस्लीय भेदभाव

Subhi
13 April 2022 1:31 AM GMT
अमेरिका में मानव अधिकारों की स्थिति खराब, होता है अश्वेत नागरिकों के साथ नस्लीय भेदभाव
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भारत के मुसलमानों को लेकर जो Fake Narrative चलाया जा रहा था, उस पर कई देशों से ट्वीट किए जा रहे थे. इनमें 14 प्रतिशत Tweets अकेले अमेरिका में बैठे लोगों द्वारा किए गए.

भारत के मुसलमानों को लेकर जो Fake Narrative चलाया जा रहा था, उस पर कई देशों से ट्वीट किए जा रहे थे. इनमें 14 प्रतिशत Tweets अकेले अमेरिका में बैठे लोगों द्वारा किए गए. इसके अलावा Turkey, सऊदी अरब, Netherlands, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी इस हैशटैग पर कई पोस्ट लिखे गए. जब भारत के खिलाफ इस तरह के Fake Narrative चलाए जाते हैं तो अमेरिका जैसे देश कैसे सरपंच बन कर भारत को मानव अधिकारों पर लेक्चर देने लगते हैं. सोमवार को भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों की एक बैठक हुई थी. जिसमें अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken ने कहा कि अमेरिका भारत में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर नजर रखे हुए हैं. हम अमेरिका से ये पूछना चाहते हैं कि भारत पर नजर रखने का ये अधिकार उसे किसने दिया? अब वक्त आ गया है जब भारत को भी अमेरिका में हो रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन पर चेतावनी जारी करना शुरू कर देना चाहिए और अब भारत को भी कहना चाहिए कि वो भी अमेरिका में होने वाली ऐसी घटनाओं को Monitor कर रहा है.

अमेरिका कहता है कि वो मानव अधिकारों को लेकर भारत की मौजूदा स्थिति की निगरानी कर रहा है. लेकिन सच ये है कि खुद अमेरिका में मानव अधिकारों और कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है. इसे आप सोमवार की एक घटना से समझ सकते हैं. अमेरिका के New York शहर के एक Subway Station में Mass Shooting की घटना हुई, जिसमें कुछ लोगों के मारे जाने की आशंका है. इसके अलावा इस हमले में 13 लोग घायल भी हुए हैं. लोकतंत्र की बात करने वाले अमेरिका में गणतंत्र इतना हावी हो चुका है कि वहां वर्ष 2021 में हर दिन Mass Shooting की कम से कम एक घटना हुई थी. अमेरिका में कहा जाता है कि अगर वहां लोग आतंकवादी हमलों में किसी तरह बच भी गए तो अमेरिका का कोई नागरिक अपनी गन से उनकी जान ले लेगा. क्योंकि वहां गन कल्चर खतरनाक रूप ले चुका है. अमेरिका के New York शहर की ये तस्वीरें उसके खोखले मानव अधिकारों की पोल खोल रही हैं.

अमेरिका में पिछले एक दशक में नस्लीय भेदभाव भी काफी बढ़ चुका है. अमेरिका की कुल जनसंख्या में अश्वेत लोगों की आबादी सिर्फ 13 प्रतिशत है. लेकिन अमेरिका की जेलों में बन्द अश्वेत लोगों की संख्या 33 प्रतिशत से ज्यादा है. जबकि वहां कुल आबादी में White Americans 76 प्रतिशत हैं लेकिन इसके बावजूद जेलों में बन्द ऐसे लोगों की संख्या 30 प्रतिशत है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका में अश्वेत नागरिकों के साथ नस्लीय भेदभाव होता है. वहां गोरे लोगों की तुलना में अश्वेत लोगों को 5 गुना ज्यादा जेल की सजा होती हैं. वहां अश्वेत नागरिकों की हत्याओं को लेकर Black Lives Matter आन्दोलन भी लम्बे समय से चलाया जा रहा है.

वर्ष 2020 में अमेरिका में अश्वेत नागरिकों के खिलाफ हिंसा की 2 हजार 871 घटनाएं हुई थीं. ये घटनाएं 2019 के मुकाबले 49 प्रतिशत ज्यादा हैं. इसके अलावा अमेरिका में एशिया मूल के लोग भी सुरक्षित नहीं है. 2020 में वहां एशिया मूल के लोगों के खिलाफ हिंसा की 279 घटनाएं हुई थीं. लेकिन फिर भी अमेरिका कहता है कि वो भारत में मानव अधिकारों की स्थिति को मॉनिटर कर रहा है. अमेरिका खुद को मानव अधिकारों और लोकतंत्र का सबसे बड़ा चैम्पियन बताता है लेकिन उसका लोकतंत्र कितना खोखला है, ये पूरी दुनिया ने पिछले साल ही देख लिया गया, जब वहां Capitol Hill में 6 जनवरी 2021 को हुई हिंसा में पांच लोग मारे गए थे.

अमेरिका एक ऐसा देश है, जहां दूसरे देशों में लोकतंत्र की समीक्षा और उसे मजबूत करने के लिए कई संस्थाएं काम करती हैं और ये संस्थाएं लोकतंत्र के हितों की रक्षा के लिए कई देशों की आर्थिक रूप से मदद भी करती हैं. लेकिन Global Attitude Survey 2019 के मुताबिक अमेरिका के 59 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो वहां के लोकतंत्र से असंतुष्ट हैं. जबकि भारत में ये आंकड़ा सिर्फ 26 प्रतिशत है. अब आप खुद सोचिए कि किस देश का लोकतंत्र ज्यादा मजबूत है. कहां मानव अधिकारों की स्थिति खराब है. आज दुनियाभर में अमेरिका की स्थिति इसलिए कमजोर हो रही है क्योंकि वो दूसरे देशों के लोकतंत्र और वहां के मानव अधिकारों की तो समीक्षा करता है लेकिन खुद का आंकलन कभी नहीं करता और सरपंच बन कर दूसरे देशों को ये बताता है कि उन्हें क्या करना चाहिए.

अमेरिका मॉनिटरिंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता है क्योंकि उसे लगता है कि दुनिया में मानव अधिकारों और लोकतंत्र की चिंता सिर्फ उसी को है. जबकि हकीकत में अमेरिका का लोकतंत्र और वहां की व्यवस्था भारत के मुकबाले कहीं ज्यादा खोखली और कमजोर है. वहां का समाज भी काफी बंटा हुआ है.


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