फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से लड़ने के लिए अमीर देशों की कथित खोखली घोषणाओं की आलोचना की है. इनकी बजाय, बांग्लादेश खुद भविष्य में जीरो-कार्बन की एक योजना लेकर सामने आया है.ग्लासगो में COP26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में, बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने अमीर देशों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने और कम अमीर देशों को सालाना सौ अरब डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करने संबंधी वादे को पूरा करने का आह्वान किया है. शेख हसीना का कहना है कि बांग्लादेश के कार्बन उत्सर्जन को ग्लोबल वॉर्मिंग के महज एक मामूली से हिस्से के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. विकसित देशों में प्रति व्यक्ति करीब 20 टन की तुलना में बांग्लादेश मौजूदा समय में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष करीब 0.3 टन कार्बन उत्सर्जित कर रहा है. 1.2 अरब लोगों की सामूहिक आबादी वाले देशों के समूह क्लाइमेट वल्नरेबल फोरम यानी सीवीएफ के लोग वैश्विक उत्सर्जन की केवल 5 फीसद कार्बन ही उत्सर्जित करते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कुछ सबसे बुरे प्रभावों को इन्हीं देशों को भुगतना पड़ता है. इन देशों में समुद्र के बढ़ते जलस्तर और भीषण बाढ़, चक्रवात और गर्मी की लहरों से विस्थापन का भी खतरा है. उदाहरण के लिए, क्लाइमेट चेंज वल्नरेबिलिटी इंडेक्स के मुताबिक, पिछले दो दशकों में चरम मौसम की घटनाओं की बात करें तो बांग्लादेश सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश है. डीडब्ल्यू से बातचीत में अर्थशास्त्री फहमीदा खातून कहती हैं, "बांग्लादेश जैसे देशों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बहुत ज्यादा है. यह आपदा की आशंका वाले देशों में पर्यावरण का कहर पैदा करेगा." आर्थिक विकास को खतरा जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल यानी आईपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि यदि धरती का तापमान 1.