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'दादा' शी जिनपिंग ने कैसे लड़ी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई? क्या भारत सीख सकता है?

HARRY
15 Oct 2022 3:35 AM GMT
दादा शी जिनपिंग ने कैसे लड़ी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई? क्या भारत सीख सकता है?
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एक के बाद एक नाम, एक के बाद एक वरिष्ठ राजनेता... हाल के हफ्तों में चीन की अदालतों में भ्रष्टाचार के खिलाफ 'अंतिम मुहिम' चलाया गया है और एक के बाद एक हाई-प्रोफाइल चेहरों को सख्ततम सजा सुनाई गई। चीन की अदालतों ने भ्रष्टाचार विरोधी ये महान अभियान उस वक्त चलाया गया है, जब शी जिनपिंग तीसरी बार देश के राष्ट्रपति बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस की हर पांच सालों पर होने वाली बैठक में शी जिनपिंग के नाम पर लगातार तीसरी बार मुहर लगनी है। लेकिन, अचानक चीन की अदालतों में नेताओं और अधिकारियों को उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा क्यों दी जाने लगी, आखिर चीन की राजनीति कैसी होती है और शी जिनपिंग कैसे चीन के एकमात्र शहंशाह बन गये, आइये समझते हैं।

शी जिनपिंग के अभियान की तीव्रता देश के इतिहास में लगभग बेजोड़ है। साल 2012 में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का सर्वोच्च महासचिव पद पर नियुक्त होने के साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार से लड़ाई को अपनी प्राथमिकता बताया और वो बताते हैं, कि उन्होंने करप्शन के खिलाफ लड़ाई में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। चीन के सार्वजनिक सुरक्षा के पूर्व उप-मंत्री सन लिजुन को 23 सितंबर को 'निलंबित' मौत की सजा सुनाई गई है। उनपर रिश्वत स्वीकार करने और अपना व्यक्तिगत काम निकालने के लिए अपनी राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करने का आरोप लगा। हालांकि, कोर्ट ने सन लिजुन को थोड़ी सी राहत ये कहकर दी है, कि अगर अगले दो सालों में उनका आचरण सही रहता है, तो उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है। चीन में इस तरह की सजा को 'निलंबित मौत की सजा' कहा जाता है और अपने विरोधियों को तोड़ने के लिए इसका जमकर इस्तेमाल किया जाता है। अगर विरोधी टूट गया, तो उसकी जान बख्स दी जाती है।

चीन की राजनीति को समझने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है, कि सन लिजुन को सजा मिलने के बाद फिलहाल भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त अभियान रूक जाएगा। लेकिन, इस अभियान के थमने से पहले पूर्व न्याय मंत्री फू झेंकहुआ, जियांग्सू प्रांत में राजनीतिक और कानूनी मामलों के पूर्व प्रमुख वांग लाइक, तीन पूर्व पुलिस प्रमुख और अनुशासन निरीक्षण आयोग के पूर्व प्रमुख लियू यानपिंग जैसे रसूखदारों को भी कोर्ट फांसी या उम्रकैद की सजा सुना चुका है। 16 अक्टूबर को कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस की बैठक होने वाली है, जिसमें पिछले 10 सालों से कुर्सी पर विराजमान शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने का ऐलान किया जाएगा और अब इसमें कोई शक नहीं है, कि शी जिनपिंग का पॉजिशन पहले से अत्यधिक मजबूत हो जाएगा। जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रूस डिक्सन ने अल जज़ीरा को बताया कि, "हाल ही में घोषित जेल की सजा से संकेत मिलता है, कि शी जिनपिंग पार्टी कांग्रेस से पहले कमजोर सिरों को बांध रहे हैं।" उन्होंने कहा कि, "जिन लोगों ने अनुमान लगाया है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व का विरोध है, ये वाक्य स्पष्ट करते हैं कि वह मजबूती से इसके प्रभारी हैं।"

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