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पृथ्वी की गहराई बहुत ज्यादा है. यह कई परतों में बंटी है
पृथ्वी (Earth) की गहराई बहुत ज्यादा है. यह कई परतों में बंटी है, इन परतों में ऊपर से नीचे भी पदार्थों का आदान प्रदान होता रहता है. अब शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रास्ता खोजा है जो पृथ्वी के बहुत ही अंदर तक जाता है. वैज्ञानिकों ने मध्य अमेरिका के पनामा के नीचे यह गुप्त भूगर्भीय रास्ता खोजा है जो इस बात की व्याख्या कर सकता है कि पृथ्वी की चट्टाने अपने उद्गम स्थान के 1609 किलोमीटर नीचे मैंटल में क्यों पाए जाते थे. शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने जो पमाना के नीचे में वैसे ही मैंटल तत्वों की मौजूदगी पाई है जो 1600 किलोमीटर दूर गैलापैगस द्वीपों के नीचे मिले हैं.
सतह के 100 किलोमीटर नीचे तक
उसकी पर्पटी ही 35 से 70 किलोमीटर तक है. उसके ऊपरी मैंटल की परत 670 निचले मेंटल की परत 2890 किलोमीटर तक है. इसके बाद 6370 किलोमीटर नीचे तक क्रोड़ है, इंसानी पहुंच केवल 12 किलोमीटर गहराई तक ही हो पाई है. वहीं अभी जो प्रवेश द्वार मिला है वह पृथ्वी की सतह के 100 किलोमीटर नीचे मिला है. जो मैंटल का पदार्थ ऊपर तक आता है और गैलोपैगोस द्वीपों के नीचे से बहक पनामा आ जाता है.
कई सवालों के जवाब
मसाचुसैट्स के वुड्स होल ओशनोग्रफिक इंस्टीट्यूशन में समुद्री रसायन और भूरसायन वैज्ञान के पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलर डेविड बेकार्ट का कहना है कि इसी में इस बात का रहस्य भी छिपा हो सकता है कि पनामा में सक्रिय ज्वालामुखियों की संख्या इतनी कम क्यों है. इस जगह से कई सवालों के एक साथ जवाब मिल सकते हैं.
निन्मस्खलन की प्रक्रिया
यह स्थान मध्य अमेरिका के पश्चिमी तट पर कोकोस टेक्टोनिक प्लेट पर है जो नीचे की ओर जा रही है. यह प्लेट उत्तरी अमेरिका, कैरेबियन और पनामा की मगाद्वीपीय पर्पटी के नीचे की महासागरों की पर्पटी की टेक्टोनिक प्लेट को धकेल रही है जिससे अंग्रेजी में निन्मस्खलन (Subduction) कहते हैं.
एक सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र
इस प्रक्रिया से एक निन्मस्खलन क्षेत्र बन जाता है और साथ ही ज्वालामुखियों की एक पंक्ति भी बनी है जिसे मध्य अमेरिकी ज्वालामुकी चाप (Arc) कहा जाता है. इसमें लावा पानामा प्लेट के ऊपर पश्चिमी पनामा में जा कर रुक जाता है. शोधकर्ताओं का अध्ययन PNAS में प्रकाशित हुआ है.
खिड़की की तरह खुला मुंह
इस अध्ययन में दावा किया गय है कि इसका जिम्मेदार कोको की टेक्टोनिकल प्लेट में खिड़की की तरह खुला मुंह हो सकता है जो पृथ्वी की केंद्र की ओर धकेला जा रहा है. शोधकर्ताओं ने इस इलाके के भूरसायन को समझने के लिए यहां की ज्वालामुखी चट्टानों के नमूनों के साथ गर्म चश्मे से निकलने वाली गैस और तरल पदार्थों के नमूनों को भी जमा किया.
क्यों चौंके वैज्ञानिक
शोधकर्ता तत्वों के आणविक आइसोटोप के अनुपातों की जानकारी पाने में विशेष रुचि दिख रहे थे. वे इनमें से हीलियम और सीसे पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. मैंटल में सिलिकेट चट्टानें मिलती हैं जहां सिलिकॉन और ऑक्सीजन की सरंचना अलग अलग हो सकती है. वैज्ञानिकों ने मध्य अमेरिका के नीचे भी बहुत अजीब से अवलोकन किए हैं. शोधकर्ताओं ने पश्चिमी पनामा में ऐसे सरंचना देखी जो उन्होंने गैलापैगोस द्वीपों पर मिली थी. इस जानकारी ने वैज्ञानिकों को चौंकाया.
शोधकर्ताओं को हैरानी हुई कि कैसे मैंटल तत्व गैलापैगोस के नीचे से पनामा तक कैसे पहुंचे. इनका कोई दूसरा रास्ता नहीं है. ऐसा तभी हो सकता है जब पनामा के नीचे गहरा छेद हो जिससे मैंटल तत्व सतह तक पहुंच रहे हों. ऐसा भी हो सकता है यह किसी प्राकृतिक दरार की वजह से हो, लेकिन इतना ज्यादा प्रवाह किसी खुली खड़की नुमा छेद के जरिए ही हो सकता है. बेशक इस बारे में और शोध की जरूरत तो है ही लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि इस तरह के और भी बहाव देखने को मिल सकते हैं.
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